
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने मंगलवार को राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के तहत पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेदिक संस्थान में 50 बिस्तरीय पंचकर्म सुपर स्पेशलिटी एवं वैलनेस केंद्र एवं रजत जयंती ऑडिटोरियम भवन का लोकार्पण किया। इस दौरान सीएम शिवराज ने घोषणा करते हुए कहा कि अब मेडिकल व इंजीनियरिंग की तरह आयुर्वेद की भी पढ़ाई हिंदी में होगी।
लोकार्पण कार्यक्रम में आयुष विभाग के राज्यमंत्री रामकिशोर कांवरे, भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, विधायक पीसी शर्मा समेत अनेक लोगों उपस्थिति रहे।
केरल की तर्ज पर थेरेपिस्ट पंचकर्म करेंगे : सीएम
लोकार्पण कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने कहा कि मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि हमारा खुशीलाल आयुर्वेदिक चिकित्सालय एक नए स्थान पर पहुंच गया है। आयुर्वेद, पंचकर्म और योग का समन्वय करते हुए संपूर्ण स्वास्थ्य कैसे व्यक्ति प्राप्त करें, इसके लिए यहां सारी व्यवस्थाएं की गई हैं। यहां रिसर्च लैब और ऑडिटोरियम भी है। भोपाल के पंचकर्म सेंटर को किसी पांच सितारा होटल की सुविधाओं जैसा अपडेट किया गया है। यहां पर केरल की तर्ज पर थेरेपिस्ट पंचकर्म करेंगे। कलियासोत डैम के पास देश का पहला सरकारी पंचकर्म एंड वेलनेस सेंटर बनकर तैयार हो गया है।

आयुर्वेद यूनिवर्सिटी पर भी विचार करेंगे : सीएम
कार्यक्रम के दौरान सीएम शिवराज ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि अंग्रेजी प्रतिभा को मार रही है। प्रतिभा तो किसी भी भाषा में हो सकती है। इसलिए हमने तय किया है कि मध्य प्रदेश की धरती पर मेडिकल व इंजीनियरिंग के बाद अब आयुर्वेद की पढ़ाई भी हिंदी में ही होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि आयुर्वेद एक ऐसी विधा है जिसे पूरी दुनिया जल्द ही संपूर्णता के साथ अपनाएगी। आयुर्वेद का बढ़ना दुनिया के हित में है। मध्य प्रदेश आयुर्वेद विश्वविद्यालय के विषय में भी विचार करेगा। हमारी सरकार आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
नाड़ी से रोक का पता चल जाता है : सीएम
सीएम शिवराज ने कहा कि कोविड के समय में जब कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था, तब आयुर्वेद और योग के रूप में देश और दुनिया को रास्ता मिला। कोविड के बाद पूरी दुनिया में आयुर्वेद का डंका बज रहा है। इसके साथ ही भारत के गांव-गांव में इलाज के लिए आयुर्वेद पर ही विश्वास किया गया। आयुर्वेद के माध्यम से गांव में ही जड़ी-बूटियों से बीमारियों का इलाज आसानी से होता रहा है। हमारे वैद्य इतने कुशल होते हैं कि नाड़ी से ही रोक के मूल कारण का पता लगाकर इलाज करते हैं। जब तक मूल कारण पता नहीं होगा तो रोग कैसे ठीक होगा?
आयुर्वेद के क्षेत्र में गहन शोध की जरूरत है : सीएम
एलोपैथी की अपनी उपयोगिताएं हैं, लेकिन आयुर्वेद एक संपूर्ण विधा है। आयुर्वेद में केवल इलाज ही नहीं बताया गया है, बल्कि स्वस्थ कैसे रहें? यह भी बताया गया है। आयुर्वेद के क्षेत्र में गहन शोध अत्यंत आवश्यक है। एलोपैथ के क्षेत्र में पूरे विश्व में लगातार शोध हो रहे हैं। यदि हम आयुर्वेद में भी शोध को बढ़ावा देंगे, तो निरोग के संकल्प को बेहतर तरीके से साकार किया जा सकेगा।
धीरे-धीरे आयुर्वेद में रिसर्च खत्म हो गया है, इसलिए मेरी इच्छा है कि हम नित नए रिसर्च करें। आपको जो संसाधन चाहिए वह मैं उपलब्ध कराऊंगा, लेकिन आप आज यह संकल्प लीजिए कि यह शोध का सेंटर बने। आयुर्वेदिक दवाओं का प्रचलन लगातार बढ़ता जा रहा है। हम धीरे-धीरे यह व्यवस्था कर रहे हैं कि अस्पताल में आयुर्वेदिक डॉक्टर भी हों और एलोपैथिक डॉक्टर भी हों।