
पल्लवी वाघेला-भोपाल। ‘पापा कहते थे-भरा पूरा परिवार है। मेरी अंतिम यात्रा शान से निकलेगी। कोरोना की दूसरी लहर में हम सभी क्वारेंटाइन थे। न सेवा कर पाए, न उन्हें मुखाग्नि दे पाए। यह गिल्ट सताता है। अब दो साल से वृद्धाश्रम में उनकी तिथि या पितृपक्ष के दिन भोजन कराने के साथ ही वृद्धजन की सेवा करता हूं।’ यह कहना है कोलार क्षेत्र निवासी अरविंद का । उनकी तरह अनेक लोगों को संक्रमण काल का दर्द अब भी साल रहा है। अब वे वृद्धाश्रम में समय बिता कर और पितृपक्ष में उन्हें भोजन कराके शांति पाने का प्रयास कर रहे हैं। वृद्धाश्रमों में एडवांस में बुकिंग हो रही है। इस साल श्राद्ध पक्ष 18 सितंबर से शुरू है और वृद्धाश्रमों में अब तक कई लोगों ने बुकिंग कराई है।
खुद परोसना चाहते हैं
संचालकों के मुताबिक पहले भी पितृपक्ष में लोग भोजन कराने आते थे, लेकिन कोविड के बाद एडवांस बुकिंग की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लोग पितरों की शांति के लिए ब्राह्मण की जगह वृद्धाश्रम भोज को तरजीह दे रहे हैं। इस साल गणेशजी के आगमन के पहले ही विभिन्न वृद्धाश्रमों में करीब 70 लोग बुकिंग करा चुके हैं। कोविड में अपनों को खोने वाले लोग अपने पितृ की याद में यह पूरा दिन वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के साथ बिताने और अपने हाथ से भोजन परोसने को प्राथमिकता देते हैं। कुछ लोग गुप्त दान भी करते हैं।
पैकेज भी मिल रहे हैं
आनंदधाम वृद्धाश्रम के रवि सुरंगे ने बताया कि उनके यहां अल्पाहार – 1,250 रुपए, लंच – 3 हजार रुपए और अन्नपूर्णा पैकेज जो पूरे दिन के भोजन का होता है इसके 6 हजार रुपए हैं। इस आश्रम में 21 बुजुर्ग रह रहे हैं।
खुद बनाकर लाएं खाना
कमल बसंत वृद्धाश्रम के प्रमोद सिंह ने बताया कि उनके यहां 12 बुजुर्ग हैं। यहां तय मेन्यू बनाकर लाने का सिस्टम है। यह संभव नहीं है तो 2,500 रुपए भोजन के जमा होते हैं।
बुजुर्गों को वक्त देते हैं
अपना घर की संचालक माधुरी मिश्रा ने बताया कि उनके यहां चार हजार में एक वक्त और 6 हजार में पूरे दिन के भोजन की व्यवस्था है। उनके यहां 24 बुजुर्ग हैं, लोग इनके साथ समय भी बिताते हैं।
हर तरह की सेवा
आसरा वृद्धाश्रम की केयरटेकर राधा चौबे ने बताया कि यहां 80 बुजुर्ग हैं। यहां चार हजार रुपए में भोजन करा सकते हैं। यदि लोगों की संख्या अधिक होती है तो पितृपक्ष में वे कपड़े या अन्य जरूरत का सामान देते हैं।