
नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ आज आम आदमी पार्टी सामूहिक उपवास करेगी। इस उपवास में शामिल लोगों को लेकर आप नेताओं का दावा है कि दिल्ली के जंतर मंतर और पंजाब में शहीद भगत सिंह के गांव खटखड़कलां में पार्टी के विधायक, मंत्री, सांसद, पार्षद और पदाधिकारी जनता के साथ सामूहिक उपवास करेंगे। बता दें कि इससे पहले पार्टी ने 26 मार्च को भी देशभर में प्रदर्शन किया था।
#WATCH | Delhi: AAP leaders to sit on a day-long fast at Jantar Mantar against the arrest of party national convenor and Delhi CM Arvind Kejriwal, in connection with Delhi excise policy case. pic.twitter.com/gTgBthI5KL
— ANI (@ANI) April 7, 2024
तानाशाही के खिलाफ उठा रहे आवाज : AAP
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में आम आदमी पार्टी के नेता आज देशभर में उपवास करने वाले हैं। पार्टी के बड़े नेता दिल्ली के जंतर-मंतर पर सुबह 10 बजे उपवास के लिए पहुंचे। पार्टी की मांग है कि, शराब नीति घोटाले में 21 मार्च को गिरफ्तार हुए केजरीवाल को रिहा किया जाए। इसी को लेकर यह उपवास किया जा रहा है।
"देश में बढ़ती हुई तानाशाही के खिलाफ और अरविंद केजरीवाल जी की गिरफ़्तारी के खिलाफ़ आज हम उपवास पर बैठे हैं। अगर आप भी दिल्ली में हैं तो जंतर मंतर पर पहुंचिए"
– AAP प्रवक्ता रीना गुप्ता जी pic.twitter.com/N3bUDYMejG
— Aam Aadmi Party Delhi (@AAPDelhi) April 7, 2024
AAP ने बताया केजरीवाल को देश का बेटा
इसी के साथ पार्टी ने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट भी किया, जिसमें लिखा हुआ है कि तानाशाही के खिलाफ पूरा देश एकजुट है। आओ मिलकर देश के बेटे के लिए आवाज उठाएं। बता दें कि इससे पहले AAP ने 26 मार्च को भी देशभर में प्रदर्शन किया था। पार्टी कार्यकर्ता दिल्ली में पीएम आवास का घेराव करने भी निकले थे, लेकिन उन्हें रास्ते में रोककर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया था।
न्यायिक हिरासत में हैं केजरीवाल
शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED की रिमांड खत्म होने के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया था। जहां से उन्हें 15 अप्रैल तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में भेजा दिया गया। इस दौरान केजरीवाल ने तिहाड़ ले जाने के लिए तीन किताबों की मांग की थी।
केजरीवाल ने जेल में तीन किताबें मांगी
केजरीवाल ने तिहाड़ ले जाने के लिए तीन किताबों की मांग की थी। केजरीवाल ने अपने वकीलों के जरिए कोर्ट में एक याचिका दायर कराई थी। केजरीवाल के वकील रमेश गुप्ता ने कोर्ट से कहा था- अरविंद केजरीवाल को जेल में 3 किताबें दी जाएं- गीता, रामायण और नीरजा चौधरी की बुक हाऊ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड। इसके साथ ही उन्होंने जेल में जरूरी दवाओं की भी मांग की थी।
21 मार्च गिरफ्तार हुए थे केजरीवाल
ईडी ने लगभग दो घंटे की पूछताछ के बाद अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को उनके आधिकारिक आवास से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें शुक्रवार (22 मार्च) को राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया और पूछताछ के लिए 10 दिनों की रिमांड मांगी, लेकिन कोर्ट ने छह दिन की रिमांड दी। 28 मार्च को केजरीवाल की रिमांड अवधि खत्म हुई। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ED कस्टडी 4 दिन और बढ़ा दी और अब वे एक अप्रैल तक रिमांड पर रहेंगे। ED ने केजरीवाल की सात दिन की कस्टडी मांगी थी।
केजरीवाल ने 23 मार्च को अपनी गिरफ्तारी और राउज एवेन्यू कोर्ट के रिमांड के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए फौरन सुनवाई की मांग की थी। जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 मार्च को केजरीवाल को राहत देने से इंकार कर दिया। इसके अलावा दिल्ली HC ने मुख्य याचिका के साथ-साथ याचिकाकर्ता की अंतरिम रिहाई की अर्जी पर 2 अप्रैल तक ED से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई अब 3 अप्रैल को होगी।
क्या है पूरा मामला ?
दिल्ली में केजरीवाल की सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति लागू करने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई। नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार का रेवेन्यू में बढ़ेगा। नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी।
नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी। हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए।