Naresh Bhagoria
5 Nov 2025
पल्लवी वाघेला-भोपाल। कोराना संक्रमण काल में बच्चों की पढ़ाई के लिए अनिवार्य बना स्मार्टफोन अब पढ़ाई की जगह गेमिंग और मनोरंजन का साधन बन गया है। खतरा यह है कि इनकी आदत और इनमें दिए जा रहे टास्क पूरा करने का जुनून सेहत खराब करने के साथ जानलेवा तक साबित हो रहा है। जानकारी के अनुसार, भोपाल में बीते डेढ़ साल में मनोवैज्ञानिकों के अलावा निजी और सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में करीब 700 ऐसे मामले आए हैं, जिनमें टास्क का जानलेवा जुनून 8 से 16 साल तक के बच्चों में नजर आया।
इनमें कुछ मामले तो बेहद चौंकाने वाले हैं। गेम और टॉस्क के ट्रैप में आने के बाद टीनएजर्स खुद को जानकर काटते हैं, चोट और यहां तक कि अंतरंग तस्वीरें भी लेते हैं और उन्हें ऑनलाइन अपलोड करते हैं। खुद को नुकसान पहुंचाना सीधे गर्व से जुड़ा मामला हो जाता है और उन्हें लगता है कि इससे उनका खूब नाम होगा। अधिकतर मामलों में पैरेंटस को लगता है कि उनके बच्चे ऐसे गेम का हिस्सा हो ही नहीं सकते।
ऑनलाइन गेम के चलते बच्चे सोशली आइसोलेटेड हो जाते हैं। सिर्फ गेम उन्हें खुशी देता है। ऐसे में उनमें सुसाइड टेंडेंसी आने लगती है। ऐसे केसेस लड़कों में अधिक देखने में आते हैं, क्योंकि लड़कियां अपनी बातें, पैरेंट्स से जल्दी शेयर कर लेती हैं, लड़के ऐसा नहीं करते। पैरेंट्स केवल एडवाइजर न बनें बल्कि लिसनर भी बनें। -डॉ. दीप्ति सिंघल, मनोवैज्ञानिक