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Electoral Bonds Case : SBI ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, 2 PDF फाइलें भेजी; 2019 से 2024 तक 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए

पार्टियों ने 22,030 बॉन्ड का पैसा कैश कराया, 187 चुनावी बॉन्ड कैश नहीं करवाया गया

नई दिल्ली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है। SBI के चेयरमैन दिनेश कुमार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट फाइल की। इसमें बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के 11 मार्च के निर्देश के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी उपलब्ध जानकारी चुनाव आयोग को दे दी गई है।

इस हलफनामे में बैंक ने आंकड़ों के जरिए बताया है कि पहली अप्रैल 2019 के बाद से 15 फरवरी 2024 तक कुल 22217 इलेक्टोरल बॉन्ड्स बिके हैं। इनमें से 22030 भुना लिए गए हैं। इनमे से 187 का भुगतान नहीं लिया गया है। जाहिर है कि नियमों के मुताबिक वो पीएम रिलीफ फंड में जमा कर दिए गए हैं।

चुनावी चंदे का ब्योरा

  • 1 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच 22,217 चुनावी बॉन्ड बिके, जिसमें से 22,030 कैश करवाए गए हैं।
  • 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक कुल 18,871 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए और 20,421 को कैश करवाया गया।
  • 1 अप्रैल, 2019 और 11 अप्रैल, 2019 के बीच कुल 3,346 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए और उनमें से 1,609 को कैश करवाया गया।
  • SBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 14 अप्रैल, 2019 और 15 फरवरी, 2024 के बीच खरीदे और कैश करवाए गए चुनावी बॉन्ड के संबंध में चुनाव आयोग को डेटा उपलब्ध कराया गया है।
  • चुनावी बॉन्ड की खरीद की तारीख, खरीददारों के नाम और उनके मूल्यवर्ग का विवरण EC को दिया गया है।

SC ने इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर लगा दी थी रोक

दरअसल, 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। साथ ही SBI को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को देने का निर्देश दिया था। SBI ने 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इसकी जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था।

SBI की 29 ब्रांच में जारी किए जाते हैं ‘चुनावी बॉन्ड’

चुनावी बॉन्ड जमा करने को लेकर देशभर में SBI की अधिकृत कुल 29 ब्रांच हैं। जहां पर कोई भी चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है और राजनीतिक दलों को फंड दे सकता है। हालांकि, कोर्ट ने अब इस स्कीम पर ब्रेक लगा दिया है। इससे राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। क्योंकि, आम चुनाव करीब हैं और पार्टियों को चुनावी चंदे की सबसे ज्यादा जरूरत होगी।

इलेक्टोरल बॉन्ड क्या है ?

2017 में केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को वित्त विधेयक के रूप में सदन में पेश किया था। संसद से पास होने के बाद 29 जनवरी 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की अधिसूचना जारी की गई थी। चुनावी बॉन्ड ब्याज मुक्त धारक बॉन्ड या मनी इंस्ट्रूमेंट था, जिसे भारत में कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अधिकृत शाखाओं से खरीदा जा सकता था। ये बॉन्ड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये की संख्या में बेचे जाते थे। किसी राजनीतिक दल को दान देने के लिए उन्हें केवाईसी-अनुपालक खाते के माध्यम से खरीदा जा सकता था। राजनीतिक दलों को इन्हें एक निर्धारित समय के भीतर भुनाना होता था। दानकर्ता का नाम और अन्य जानकारी दस्तावेज पर दर्ज नहीं की जाती है और इस प्रकार चुनावी बॉन्ड को गुमनाम कहा जाता है। किसी व्यक्ति या कंपनी की तरफ से खरीदे जाने वाले चुनावी बॉन्ड की संख्या पर कोई सीमा नहीं थी।

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