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झारखंड मनरेगा घोटाला : सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित IAS पूजा सिंघल की जमानत याचिका की खारिज, मनी लॉन्ड्रिंग केस में मई 2022 से जेल में हैं

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड कैडर की निलंबित IAS अधिकारी पूजा सिंघल की जमानत याचिका खारिज कर दी है। उनकी याचिका पर सोमवार (29 अप्रैल) को हुई सुनवाई और बहस के बाद अदालत ने उन्हें बेल देने से इनकार कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने झारखंड हाईकोर्ट के बेल न देने के फैसले को बरकरार रखा। पूजा सिंघल 25 मई 2022 से जेल में हैं, उन पर मनरेगा स्कीम को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है।

यह मामूली मामला नहीं : बेंच

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने झारखंड हाईकोर्ट के बेल न देने के फैसले को बरकरार रखा। बेंच ने कहा- बेल के लिए कुछ और देर इंतजार कीजिए। यह मामूली मामला नहीं है। इस केस में कुछ बहुत ही गलत हुआ है।

कोर्ट ने उन्हें पुत्री के इलाज के लिए कुछ दिनों के लिए जमानत दी थी, लेकिन बाद में उन्हें फिर सरेंडर करने का आदेश दिया गया था। सिंघल ने 12 अप्रैल 2023 को रांची ईडी की विशेष कोर्ट में सरेंडर किया था। तब से वह रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में हैं।

जांच में सामने आई ये बात

ईडी के मुताबिक, जांच से पता चला है कि मनरेगा घोटाले से उत्पन्न अपराध का पैसा कमीशन के रूप में पूजा सिंघल और उनके रिश्तेदारों के विभिन्न बैंक खातों में जमा की गई थी। ईडी ने एक बयान में यह भी कहा था कि उक्त पीओसी को पूजा सिंघल द्वारा अर्जित अन्य बेहिसाब धन के साथ मिश्रित और स्तरित किया गया था।

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मई 2022 में हुई थी गिरफ्तारी

ईडी को जांच के दौरान पूजा सिंघल के पास आय से अधिक संपत्ति मिली। ईडी ने मनरेगा घोटाले के मामले में 6 मई को पूजा सिंघल समेत उनके करीबियों को करीब 25 ठिकानों पर छापा मारा था। पूजा को मामले में 11 मई 2022 को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद 25 मई को उन्हें जेल भेज दिया गया। 27 सितंबर को खराब स्वास्थ्य के चलते रिम्स में भर्ती कराया गया था। हालांकि, 27 नवंबर को एक बार फिर उन्हें जेल भेज दिया गया।

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झारखंड में हुआ था मनरेगा घोटाला

जानकारी के मुताबिक, झारखंड में 2009-10 में मनरेगा घोटाला हुआ था। बता दें कि इस मामले में कुछ दिन पहले ED ने एक साथ झारखंड, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और राजस्थान में छापा मारा था। इस दौरान 19 करोड़ 31 लाख रुपये बरामद किए गए। 17 करोड़ चार्टर्ड अकाउंटेंट के आवास से बरामद किए गए। वहीं बाकी रुपये एक कंपनी से मिले थे।

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