Manisha Dhanwani
5 Nov 2025
पुणे। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को पुणे की एक अदालत में दावा किया कि उन्हें सावरकर मानहानि मामले में अपनी जान को गंभीर खतरा है। राहुल ने अदालत से अपील की कि उन्हें प्रिवेंटिव प्रोटेक्शन दी जाए, ताकि उनकी सुरक्षा और केस की निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित हो सके। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर तय की है।
राहुल गांधी ने कहा कि इस केस में शिकायतकर्ता नाथूराम गोडसे के सीधे वंशज हैं और उनके परिवार का हिंसा तथा असंवैधानिक गतिविधियों से जुड़ा दस्तावेजी इतिहास है। महात्मा गांधी की हत्या का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा- 'इतिहास को खुद को दोहराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।'
उन्होंने आशंका जताई कि उन्हें नुकसान पहुंचाया जा सकता है, झूठे मामलों में फंसाया जा सकता है या अन्य तरीकों से निशाना बनाया जा सकता है।
अपने आवेदन में राहुल ने हाल ही के राजनीतिक बयानों का हवाला दिया, जैसे 11 अगस्त को संसद में 'वोट चोर कुर्सी छोड़' का नारा... चुनावी गड़बड़ियों के दस्तावेज पेश करना, इन बयानों से राजनीतिक विरोधियों की नाराजगी और खतरा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि सच्चा हिंदू हिंसा और नफरत नहीं फैलाता, जबकि बीजेपी पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया।
राहुल गांधी ने अदालत को बताया कि उन्हें बीजेपी नेताओं से दो सार्वजनिक धमकियां मिल चुकी हैं। केंद्रीय मंत्री रवीनीत सिंह बिट्टू ने उन्हें "देश का नंबर वन आतंकवादी" कहा, बीजेपी नेता तरविंदर सिंह मारवाह ने भी धमकी दी। राहुल का कहना है कि ये खतरे वास्तविक और गंभीर हैं, इसलिए अदालत को इन्हें गंभीरता से लेना चाहिए।
सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने राहुल के दावे को पूरी तरह अप्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा- "यह आवेदन काफी समय पहले दायर हुआ था, लेकिन राहुल जानबूझकर केस में देरी कर रहे हैं। अदालत पहले ही कह चुकी है कि उनकी व्यक्तिगत मौजूदगी जरूरी नहीं है। यह आवेदन मामले से जुड़ा नहीं है और इसका कोई औचित्य नहीं है।"