धर्मभोपालमध्य प्रदेश

Sarva Pitru Amavasya 2022: सर्व पितृ अमावस्‍या पर उमड़ी भीड़, लोग तर्पण कर पितरों को दे रहे विदाई; देखें VIDEO

आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की सर्व पितृ अमावस्या आज है। इस अमावस्या को विसर्जनी, महालया या पितृ मोक्ष अमावस्या समेत भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। इस अवसर पर नर्मदा मैया के घाटों समेत अन्य पवित्र कुंडों पर सुबह से ही लोगों का तांता लगा है। लोग नदी में स्‍नान करने के बाद विधिवत पितरों का तर्पण करते हुए उन्‍हें विदाई दे रहे हैं।

अमावस्या तिथि रविवार के दिन सर्वांर्थं सिद्धि योग का भी संयोग इस अमावस्या पर बना। यह बहुत दुर्लभ है जब सर्वपितृ अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बनता है। इसके अलावा भी इस तिथि पर इस दिन अलग-अलग प्रकार के योग बन रहे हैं। इस दिन किए गए पितृ कर्म का विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है।

घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

अधिकांश घाटों पर सुरक्षा के लिए प्रशासन ने समुचित इंतजाम किए हैं। तमाम घाटों पर होमगार्ड, नगरपालिका कर्मियों, व गोताखोरों के साथ पुलिस का अमला भी तैनात। रविवार को तड़के 4 बजे से ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। नर्मदापुरम के सेठानीघाट, पर्यटन घाट, कोरी घाट पर लोगों ने पितरों के निमित्‍त पूजन व स्नान किया। सुरक्षा को देखते हुए शहर के हर्बल पार्क, पोस्ट ऑफिस घाट पर लोगों की आवाजाही पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है, लिहाजा वहां सन्‍नाटा पसरा है।

अमावस्या पर उज्जैन में शिप्रा तट पर भी हजारों लोग नहाने के लिए पहुंचे।

शिप्रा तट पर पहुंचे हजारों श्रद्धालु

अमावस्या का खास दिन होने के कारण उज्जैन के शिप्रा तट रामघाट, सिद्धवट और केडी पैलेस पर देशभर के हजारों श्रद्धालु पहुंचे और पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण, पूजन कार्य किया।

ओंकारेश्वर में प्रतिबंध के बाद भी श्रद्धालुओं ने किया तर्पण

ओंकारेश्वर में अमावस्या पर प्रवेश और नर्मदा स्नान प्रतिबंधित होने के बावजूद रविवार को नर्मदा घाटों पर अल सुबह श्रद्धालुओं ने स्नान और कर्मकांड करते हुए अपने पितरों की याद में तर्पण किया। प्रतिबंधित की वजह पूर्व की तुलना में भीड़ अवश्य कम रही। श्रद्धालुओं द्वारा नर्मदा तट पर दीपक लगाकर और गोशालाओं में चारा- गुड़ और पक्षियों को दाना खिलाकर अपने पितरों को याद किया। भगवान ओंकार के दर्शनों का लाभ लिया।

सोलह श्राद्ध का समापन

गौरतलब है कि ज्‍योतिषियीय गणना के अनुसार चार विशेष योगों के संयोग के साथ आज सर्वपितृ अमावस्या पर विशेष तर्पण के आयोजन हो रहे हैं। भादौ माह की पूर्णिमा से शुरू हुए सोलह श्राद्ध का समापन पितृ मोक्ष अमावस्या पर होता है। जिन लोगों को अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि याद नहीं है, वे भी सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण करते हैं। इसके अलावा जो नियमित 16 दिन श्राद्ध पक्ष में तर्पण करते हैं, उनके द्वारा भी आज तर्पण का समापन किया जा रहा है।

विशेष श्रेणी में आता सर्वार्थ सिद्धि योग

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग विशेष योगों की श्रेणी में आता है। इस दिन किए गए कार्य की सिद्धि सभी अर्थ में प्राप्त होती है। रविवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से यह सर्वार्थ सिद्धि योग बना है। मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद ये तीनों नक्षत्र श्रेष्ठ बताए गए है। इनकी साक्षी में की गई पूजन आराधना विशेष फल प्राप्ति करवाती है।

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सर्वार्थ सिद्धि योग 23 घंटे तक रहेगा

सर्वार्थ सिद्धि योग का समय रविवार सुबह 6.20 से लेकर अगले दिन सुबह 5.56 तक रहेगा। पूरा दिन पितृ कर्म करने के लिए प्रशस्त रहेगा। इस दौरान पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, तीर्थ श्राद्ध के रूप में किए जा सकेंगे। साथ ही धूप ध्यान भी दी जा सकेगी। सर्वपितृ अमावस्या में सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ-साथ ग्रह गोचर के बुधादित्य योग और गुरु शनि का केंद्र त्रिकोण योग भी बन रहा है। ऐसे योग में विशिष्ट कृपा पितरों की होती है।

भूतड़ी अमावस्या पर दूर होती हैं बाधाएं

भूतड़ी अमावस्या पर 52 कुंड की मान्यता है कि जिस पर भी बुरी आत्मा का साया हो और वह एक बार 52 कुंड में से सूर्य कुंड और ब्रहम कुंड में भूतड़ी अमावस्या पर डुबकी लगाकर स्नान कर ले तो उस पर से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसे भूतों का मेले के नाम से भी जाना जाता है। शरीर में लगी बुरी आत्माओं को भगाने के लिए इन दोनों कुंड में डुबकी लगाई जाती ही। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्कंद पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है। सूर्य कुंड, ब्रह्म कुंड और सूर्य मंदिर यहां स्थापित हैं।

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पूरा दिन कर सकेंगे तर्पण और पिंडदान

सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्ता पूरे दिन किसी भी समय पिंडदन कर सकते हैं। रविवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के कारण सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सभी नक्षत्रों में श्रेष्ठ माना गया है। साथ ही इस दिन बुधादित्य योग और त्रिकोण योग का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग का आरंभ सुबह 6:20 से हो रहा है जो अगले दिन सुबह 5:56 तक रहेगा। इसलिए पूरे दिन तर्पण पिंडदान इत्यादि श्राद्ध क्रियाएं की जा सकेंगी। मान्यताओं के अनुसार इस योग में पिंडदान का अधिक लाभ मिलता है और पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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महालया अमावस्या का महत्व

हिंदू धर्म ग्रंथों में पितृ पक्ष के आखिरी दिन को आश्विन अमावस्या कहा जाता हैं। इसे महालया अमावस्या और सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं। महालया अमावस्या पर लोग पवित्र नदी में स्नान करके अपने पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर उनकी विदाई करते हैं। वे लोग जो अपने पितरों की मृत्यु तिथि भूल गए हों। वे इस दिन अपने पितरों के नाम पर श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। मान्यता है कि महालया अमावस्या पर श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होती है और जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाते हैं।

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