इंदौर। 16 महीने की देरी, करोड़ों का बजट और नेताओं का भव्य उद्घाटन—इन सबके बावजूद राऊ सर्कल ब्रिज की हालत आज शर्मनाक है। 21 दिसंबर 2024 को शुरू किया गया यह पुल जुलाई आते-आते बड़े-बड़े गड्ढों से भर गया, शिकायतें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तक पहुँचीं और फिर जल्दबाजी में रिपेयर कराया गया। लेकिन सवाल आज भी खड़ा है। आखिर एक ही ब्रिज पर कब तक काम चलता रहेगा?
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इस पुल को ‘उच्च गुणवत्ता’ वाला बताया था, जबकि हकीकत यह है कि 47 करोड़ रुपए की लागत का पुल 6 महीने भी नहीं टिक पाया। गड्ढों और उखड़ती सड़क ने निर्माण की पोल खोल दी। सांसद ने सिर्फ एक पत्र लिखकर औपचारिकता पूरी कर दी, और उसके बाद किसी नेता ने हालात देखने की जरूरत भी नहीं समझी।आज स्थिति यह है कि महू से इंदौर की ओर आने वाली पूरी लेन ढाई-ढाई फीट तक खोद दी गई है। जनता पूछ रही है,पुल बनाते समय आखिर कौन-सी घटिया सामग्री डाली गई थी कि इसकी “साँसे” एक साल भी नहीं चल सकीं?
एक साल भी नहीं चला ‘6 लेन’ वाला पुल
NHAI द्वारा बनाए गए इस एक किलोमीटर लंबे पुल के बारे में दावा किया गया था कि यह 1 लाख वाहनों और 5 लाख यात्रियों को राहत देगा। लेकिन 6 महीने बाद ही इसकी हालत ऐसी हो गई कि सड़क पूरी तरह उखड़ चुकी है और पुल पर अब सिर्फ गिट्टी और मुरम दिखाई देती है। जिन गड्ढों को जुलाई में अस्थायी रूप से भरा गया था, वे अब बड़े गड्ढों से आगे बढ़कर सड़क गायब होने की स्थिति तक पहुँच चुके हैं।
सांसद का सिर्फ एक ‘पत्र’ और मामला रफादफा
जुलाई में जब पहली बार गड्ढे सामने आए तो सांसद ने NHAI के भोपाल कार्यालय को जांच हेतु पत्र लिखा। पत्र में इंजीनियरों और ठेकेदार की जिम्मेदारी तय करने की बात कही गई, लेकिन इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। न कोई निगरानी, न कोई कड़ी कार्रवाई—बस एक पत्र और औपचारिकता पूरी।
16 महीने देरी से बना पुल, आज फिर से खतरनाक
उद्घाटन को 12 महीने भी पूरे नहीं हुए और पुल पर बड़े-बड़े गड्ढों की जगह अब सड़क ही गायब है। दोनों ओर का हिस्सा बुरी तरह टूट चुका है, ट्रैफिक एक ओर से बाधित है और वाहन चालक जोखिम उठाकर गुजरने को मजबूर हैं। जनता अब पूछ रही है,47 करोड़ की सड़क अगर एक साल भी नहीं टिक सकती, तो जिम्मेदार कौन? अगर चाहें तो मैं इसे और अधिक तीखे, अपराध-जांच शैली या टीवी रिपोर्टिंग टोन में भी परिवर्तित कर सकता हूँ।