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INS Vagir: भारतीय नौसेना में शामिल हुई साइलेंट किलर ‘शार्क’, कलवरी क्लास की पांचवी सबमरीन है ‘वागीर’

भारतीय नौसेना की ताकत लगातार बढ़ रही है। आधुनिक डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन आईएनएस वागीर (INS Vagir) सोमवार सुबह नौसेना में शामिल हो गई। मुंबई के नेवल डॉकयार्ड पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में आईएनएस वागीर को नौसेना में कमीशन किया गया। प्रोजेक्ट 75 के तहत कलवरी क्लास की यह पांचवी सबमरीन है।

24 महीनों में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी पनडुब्बी

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि, वागीर 24 महीने की अवधि में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी पनडुब्बी है। ये कॉम्प्लेक्स के निर्माण में हमारे शिपयार्ड की विशेषज्ञता का भी एक शानदार प्रमाण है। मैं सबको उनकी कड़ी मेहनत और सराहनीय प्रयास के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

पहले मिल चुकी हैं 4 सबमरीन

  • परियोजना-75 के तहत पहली सबमरीन INS कलवरी को भारतीय नौसेना में दिसंबर 2017 शामिल हुई थी।
  • दूसरी सबमरीन INS खंडेरी को सितंबर 2019 में शामिल हुई।
  • तीसरी सबमरीन INS करंज को मार्च 2021 में शामिल किया गया।
  • चौथी INS वेला को नवंबर 2021 में सेवा में शामिल किया गया था।
  • 23 जनवरी 2023 को पांचवी INS वागीर भी हिन्द महासागर की शान बन गई।
  • छठी और आखिरी सबमरीन वाग्शीर को 2023 के अंत तक नौसेना को सौंपे जाने की उम्मीद है।

INS वागीर की खासियत

  • आईएनएस वागीर पूरी तरह से भारत में बनी है। इसे फ्रांस की कंपनी नेवल ग्रुप के साथ मिलकर मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने बनाया है।
  • यह पनडुब्बी 221 फुट लंबी, 40 फुट ऊँची, गहराई 19 फुट, 1565 टन वजनी है। इसे बनाने की शुरुआत 12 नवंबर 2020 में हुई थी।
  • इस सबमरीन की खासियत ये है कि इस सबमरीन को एंटी सबमरीन युद्ध, खूफिया सूचना जुटाने, समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने और सर्विलांस के काम में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • स्पेशल स्टील से बनी सबमरीन में हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ है जो पानी के अधिक गहराई में जाकर काम करने की क्षमता रखती है।
  • इस पनडुब्बी में ऑक्सीजन बनाने की भी क्षमता है। इसलिए यह लंबे समय तक पानी में रह सकती है। पनडुब्बी वागीर 45-50 दिन तक पानी में रह सकती है। किसी भी मौसम में कार्य करने में सक्षम है।
  • यह स्टेल्थ तकनीकों से लैस है। जिसकी वजह से दुश्मन को इसका आसानी से पता नहीं चलेगा।
  • ये सबमरीन 350 मीटर तक कि गहरायी में भी जाकर दुश्मन का पता लगाती है।
  • इस सबमरीन को समुद्र के तट पर और मध्य समुद्र दोनों जगह तैनात किया जा सकता है।
  • यह समुद्र के ऊपर 15 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से एक बार में 12 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकती है।
  • पानी के अंदर यह 7.4 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से 1020 किलोमीटर की यात्रा करने में सक्षम है।

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