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कतर कोर्ट ने स्वीकार की भारत की अर्जी : 8 पूर्व नौसैनिकों की मौत की सजा के खिलाफ जल्द होगी सुनवाई, एक साल से जेल में कैद हैं सभी

नई दिल्ली। कतर में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों की मौत की सजा के खिलाफ लगाई गई भारत की याचिका को स्वीकार कर लिया गया है। कतर की एक अदालत ने गुरुवार (23 नवंबर) को भारत सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई करने को कहा। दरअसल, सभी पर जासूसी का आरोप लगा था जिसके बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं भारत सरकार ने नौसैनिकों की सजा के खिलाफ अपील की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। हालांकि, अब तक इसको लेकर कतर या भारत सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

कौन हैं ये भारतीय?

नेवी के जिन आठ पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाई गई। कतर में जिन 8 पूर्व नौसेना अफसरों को मौत की सजा दी गई है उनके नाम हैं- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश। भारतीय नौसेना में इन सभी पूर्व अफसरों ने 20 साल तक सेवा दी थी। नेवी में रहने के दौरान उनका कार्यकाल बेदाग रहा और वे अहम पदों पर रहे।

यह बेहद संवेदनशील मामला : भारत सरकार

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 9 नवंबर को अपील दायर करने की जानकारी दी थी। उस समय उन्होंने बताया था कि, गिरफ्तार किए गए सैनिकों से मिलने के लिए भारत को दूसरा कॉन्सुलर एक्सेस भी मिल गया है। यह बेहद संवेदनशील मामला है और भारत सरकार लगातार कतर के संपर्क में है।

बागची ने कहा था कि, पूर्व नौसैनिकों के परिवारों की तरफ से हायर कोर्ट में सजा-ए-मौत के खिलाफ अपील दायर कर दी गई है।

सिक्योरिटी एजेंसी के लिए कर रहे थे काम

सभी अफसर कतर में अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करते थे। यह फर्म कतर की सेना और सिक्योरिटी एजेंसी को ट्रेनिंग और दूसरी सर्विसेज मुहैया कराती थी। ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वॉड्रन लीडर खमिस अल आजमी इसके प्रमुख हैं।

जासूसी का है आरोप

26 अक्टूबर 2023 को कतर की एक अदालत ने भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुना दी। वहीं 30 अक्टूबर को आठों पूर्व नौसैनिकों के परिवारों ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभी भारतीयों पर जासूसी का आरोप लगाया गया है। आठों भारतीयों पर इजराइल के लिए कुछ सबमरीन्स की जासूसी का आरोप है। इन सबमरीन्स में स्टेल्थ कैपेबिलिटी है जो इनका पता लगा पाना काफी मुश्किल बना देती है। पिछले साल कंपनी के ओनर को भी इन भारतीयों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, नवंबर में उन्हें रिहा कर दिया गया था। हालांकि, कतर सरकार की ओर से इन पूर्व अफसरों पर लगाए गए आरोपों को लेकर कुछ खास जानकारी भारत सरकार के साझा नहीं की गई है।

एक महीने परिवार को जानकारी नहीं दी

कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने सभी को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था। भारतीय दूतावास को सितंबर के मध्य में पहली बार इनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया। इन भारतीयों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की अनुमति 30 सितंबर को दी गई। पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के एक महीने बाद मिला। इस दौरान भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया।

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