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नेपाल में प्रदर्शन के बीच राजशाही समर्थकों और पुलिस में झड़प, कई गिरफ्तार, इलाके की सुरक्षा बढ़ाई

काठमांडू। नेपाल में जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच गुरुवार को पुलिस और राजशाही समर्थकों में झड़प हुई। बेकाबू भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन ने कई इलाकों में सख्त नियम और सुरक्षा बढ़ा दी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि राजशाही समर्थक देशभर में विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। जिसके चलते विरोध प्रदर्शन को प्रोत्साहन देने वाले प्रदर्शनकारी दुर्गा प्रसाई के घर के बाहर भी भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। जबकि अलग-अलग इलाकों से उनके समर्थकों को भी गिरफ्तार किया गया है।

नेपाल की जनता क्यों उतर आई सड़कों पर

साल 2008 में समाप्त हुई राजशाही को दोबारा से बहाल करने की मांग को लेकर नेपाल की जनता सड़कों पर उतर आई है। प्रदर्शनकारी हिंदू राष्ट्र बहाल करने की मांग भी कर रहे हैं। नेपाल में हालात काबू होने की जगह अब मामला तूल पकड़ता ही जा रहा है। गुरुवार को राजशाही समर्थकों ने राजधानी काठमांडू में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि ‘हमें गणतंत्र नहीं राजतंत्र चाहिए’। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि नेपाल की सरकार से लेकर राजनीतिक दल और पूरा प्रशासनिक अमला भ्रष्ट हो गया है।

नई संसद ने वोटिंग कर राजशाही को किया था खत्म

साल 2006 में राजा ‘ज्ञानेन्द्र वीर विक्रम शाह देव’ सत्ता में थे। जब कई हफ्तों तक उनके खिलाफ सड़कों पर जमकर विरोध-प्रदर्शन हुए थे। तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र को मजबूरन शासन छोड़ने और लोकतंत्र लागू करना पड़ा। दो साल बाद, एक नई संसद ने राजशाही को खत्म करने के लिए वोटिंग की और आखिरकार हुआ ये कि नेपाल को एक गणतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया और अब वही जनता गणतंत्र से राजतंत्र राष्ट्र चाहती है।

रिपब्लिक का मतलब था कि देश का प्रमुख राष्ट्रपति होगा, ना कि राजा। इसके बाद नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया गया। यह निर्णय अंतरिम संविधान के सहारे किया गया था।

(इनपुट – विवेक राठौर)

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