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भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी को 27% आरक्षण देने का मामला पिछले 5 साल से कोर्ट में अटका हुआ है। जिस पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसके बाद राजनीति गर्म हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने बिना किसी सर्वे और तैयारी के सिर्फ चार लाइन का कागज बनाकर आरक्षण देने का ऐलान कर दिया था। इसी वजह से ये मामला अब तक कोर्ट में फंसा हुआ है। सीएम ने कहा कि हमने अधिकारियों से कहा है कि सही आंकड़ों के साथ एक नया कानून तैयार करें, जिसे विधानसभा में लाया जाएगा। सरकार इस पर काम कर रही है।
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि सीएम का बयान राजनीतिक अपरिपक्वता वाला है। ओबीसी के लोगों के साथ अन्याय और अत्याचार हो रहे हैं। विधानसभा में कानून बना, अध्यादेश विधानसभा से पारित हुआ, प्रशासनिक स्वीकृति हुई। उसको एप्लीकेबल करके राज्यपाल के पास भेजा। यही अधिकारी थे जिन्होंने वो भेजा था। उनको मुख्यमंत्री कहते हैं पर्ची पर चार लाइन लिख दी। ये भाषा है मुख्यमंत्री जी की?
कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि प्रदेश में प्रशासनिक अराजकता फैल गई है। बार-बार तबादले यह दिखाते हैं कि प्रदेश में हालात ठीक नहीं हैं। मध्य प्रदेश कर्ज में डूबता जा रहा है, प्रशासन कमजोर है और कानून-व्यवस्था भी बिगड़ती जा रही है। पटवारी ने कहा कि न युवाओं को रोजगार मिल रहा है, न किसानों को मदद। सरकार सिर्फ ईवेंट कर रही है, ज़मीनी काम नहीं हो रहे ।