Peoples Reporter
8 Sep 2025
धर्म डेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार आज (8 सितंबर) से पितृपक्ष यानी श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो गई है। यह 21 सितंबर तक चलेगा, जब सर्वपितृ अमावस्या को इसका समापन होगा। मान्यता है कि इस अवधि में पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
हिंदू धर्म में पितृपक्ष को विशेष स्थान प्राप्त है। मान्यता है कि इस दौरान पितर लोक से पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों के कर्म स्वीकार करते हैं। जो परिवार पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से तर्पण और श्राद्ध करते हैं, उन्हें पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितृपक्ष का पहला दिन प्रतिपदा श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई थी या जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है। खासतौर पर इस दिन नाना-नानी और मातृ पक्ष के पितरों का श्राद्ध करना शुभ माना जाता है।
श्राद्ध और तर्पण के लिए तांबे का बर्तन, तिल, जौ, चावल, गाय का दूध, गंगाजल, कुशा घास, सफेद पुष्प, खीर-पूड़ी, घी, गुड़ और पवित्र जल का विशेष महत्व माना जाता है।
पितृपक्ष में हर तिथि अलग-अलग पितरों को समर्पित होती है। मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है।
8 सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध
9 सितंबर – द्वितीया श्राद्ध
10 सितंबर – तृतीया श्राद्ध
11 सितंबर – चतुर्थी श्राद्ध
12 सितंबर – पंचमी एवं षष्ठी श्राद्ध
13 सितंबर – सप्तमी श्राद्ध
14 सितंबर – अष्टमी श्राद्ध
15 सितंबर – नवमी (मातृ नवमी) श्राद्ध
16 सितंबर – दशमी श्राद्ध
17 सितंबर – एकादशी श्राद्ध
18 सितंबर – द्वादशी श्राद्ध
19 सितंबर – त्रयोदशी श्राद्ध
20 सितंबर – चतुर्दशी श्राद्ध
21 सितंबर – सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या
मातृ नवमी (15 सितंबर): सुहागिन मृत महिलाओं का श्राद्ध।
द्वादशी (18 सितंबर): संन्यासियों का श्राद्ध।
चतुर्दशी (20 सितंबर): दुर्घटना या शस्त्र से मृत लोगों का श्राद्ध।
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या (21 सितंबर): जिनकी मृत्यु तिथि अज्ञात हो, उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता है।
पितृपक्ष में पूरे विधि-विधान से किया गया श्राद्ध और तर्पण न केवल पितरों की आत्मा को तृप्त करता है बल्कि परिवार में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि भी लाता है। मान्यता है कि इस काल में किया गया दान, पुण्य और धार्मिक कार्य कई गुना फलदायी होता है।