ग्वालियरभोपालमध्य प्रदेश

मंत्री ने माना – MP के स्कूलों में फर्नीचर की कमी, कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने उठाया था मुद्दा

भोपाल। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने स्वीकार किया है कि प्रदेश की स्थिति में स्कूलों में फर्नीचर की कमी है। इस समस्या को जल्द ही दूर करेंगे। वहीं, जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या कम है, वहां के शिक्षकों को अन्य स्कूलों में भेजा जाएगा।

जिनमें छात्र पर्याप्त, वहां सुविधाएं दे रहे

ग्वालियर दक्षिण से कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने स्कूलों पर सवाल उठाया था। राज्य विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मंत्री परमार ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि जिन स्कूलों में पेयजल के लिए ट्यूबवेल या नल नहीं है, वहां पर हमने वैकल्पिक व्यवस्था की है। जहां तक फर्नीचर का सवाल है तो हम फर्नीचर की हायर सेकंडरी स्कूल में पूर्ति कर रहे हैं। हाई स्कूल में पूर्ति कर रहे हैं। अब धीरे-धीरे मिडिल और प्राथमिक स्कूलों में भी उसकी पूर्ति करेंगे, क्योंकि वह पूरे मध्यप्रदेश में इसकी कमी लगती है। हम हायर सेकंडरी स्कूलों में इसे पूरा करने जा रहे हैं। कुछ स्कूल ऐसे हैं, जिनमें छात्र संख्या बहुत कम है। जिनमें छात्र संख्या पर्याप्त है, उन्हें हम सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं।

14 हजार छात्रों में से 6 हजार के लिए फर्नीचर नहीं

विधायक प्रवीण पाठक ने कहा कि ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में 14,362 विद्यार्थियों में से 5,742 विद्यार्थियों के पास बैठने के लिए फर्नीचर नहीं हैं। 20 के 20 माध्यमिक विद्यालय में फर्नीचर नहीं है। पांच हाई स्कूल हैं, जिनमें से 5 में से 5 में फर्नीचर की कमी है। 8 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं, जिनमें से 6 विद्यालयों में फर्नीचर की कमी है। वहीं, विधायक बापू सिंह तंवर ने कहा कि राजगढ़ विधानसभा अंतर्गत माध्यमिक, प्राथमिक और हाईस्कूल मिलाकर 580 स्कूल हैं और उसमें स्वीकृत पद 1,498 हैं लेकिन कुछ शालाएं ऐसी हैं जो शिक्षक विहीन हैं।

पीपुल्स अपडेट से बात करते हुए पाठक ने  बताया कि पिछले चार साल से कोशिश कर रहा हूं कि सरकारी विद्यालयों की स्थिति सुधरे। मुझे दुख है कि पिछले 18 साल से भाजपा की प्रदेश में सरकार है। वो सीएम राइज स्कूलों की, अच्छी शिक्षा व्यवस्था की बात करते हैं, जिसकी सत्यता आज मैंने पटल पर रखी है।  आज भी दक्षिण विधानसभा में 16 हजार बच्चों पर 170 कम्प्यूटर हैं, जिसमें से 155 कम्प्यूटर 2022 में खरीदे गए हैं। ये शर्मनाक है।

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