Maratha Reservation : मनोज जरांगे ने खत्म किया अनशन, समर्थकों से कहा- ‘अब गांव लौट जाओ’; सरकार ने मानी 6 मांगें
महाराष्ट्र में लंबे समय से चल रहा मराठा आरक्षण आंदोलन मंगलवार (2 सितंबर) को खत्म हो गया। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार की ओर से आश्वासन मिलने के बाद आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने इसकी घोषणा की। इसके बाद मुंबई के आजाद मैदान में समर्थकों ने जश्न मनाया।
आंदोलन खत्म करने की घोषणा
मनोज जरांगे ने समर्थकों से कहा कि सब अपने-अपने गांव संभलकर जाएं। मुझे अस्पताल जाना पड़ेगा, मैं बाद में आकर सब से मिलूंगा। इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि आंदोलन की कई प्रमुख मांगें सरकार ने मान ली हैं।
सरकार ने कौन-सी मांगे मानी?
सरकार ने जरांगे पाटिल की 8 में से 6 मांगें मान ली हैं, जबकि बाकी 2 पर प्रक्रिया जारी है।
मानी गई 6 मांगें इस प्रकार हैं –
- हैदराबाद गजट लागू करने का निर्णय।
- सातारा और औंध गजट लागू करने की प्रक्रिया (15 दिन में कानूनी अड़चनें दूर होंगी)।
- आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का आश्वासन।
- आंदोलन में मारे गए परिवारों को 15 करोड़ की आर्थिक मदद और नौकरी।
- 58 लाख कुणबी नोंदी ग्राम पंचायत स्तर पर दर्ज की जाएगी।
- वंशावली (शिंदे) समिति को कार्यालय और कार्यकाल बढ़ाया जाएगा।
अभी लंबित मांगे
मराठा-कुणबी एक जीआर : सरकार ने कहा है कि प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन आदेश जारी नहीं हुआ।
सगे-सोयरे प्रमाणपत्र की जांच : इस पर भी प्रक्रिया जारी है, लेकिन अभी अंतिम निर्णय नहीं आया है।
हैदराबाद गजट क्या है?
यह हैदराबाद रियासत का सरकारी आदेश है, जिसमें कुनबी जाति को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग बताया गया था। आंदोलनकारियों का कहना है कि मराठा = कुनबी है, इसलिए अगर कुनबी को ओबीसी में मान्यता मिली थी तो मराठों को भी उसी श्रेणी में रखा जाना चाहिए।
हाई कोर्ट का रुख सख्त
इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने आंदोलन और ट्रैफिक जाम पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि लाखों लोग मुंबई पहुंचे और गाड़ियां जहां-तहां खड़ी कर दीं, जिससे आम लोगों को परेशानी हुई। कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि स्थिति को बिगड़ने क्यों दिया।
कोर्ट ने आंदोलनकारियों को चेतावनी दी कि अगर तुरंत जगह खाली नहीं की गई तो दोपहर 3 बजे के बाद सख्त कार्रवाई होगी। सरकार ने कोर्ट को फोटो और वीडियो सबूत भी दिए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि केवल सबूत काफी नहीं हैं, कार्रवाई जरूरी है।