Shivani Gupta
24 Oct 2025
महाराष्ट्र में लंबे समय से चल रहा मराठा आरक्षण आंदोलन मंगलवार (2 सितंबर) को खत्म हो गया। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार की ओर से आश्वासन मिलने के बाद आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने इसकी घोषणा की। इसके बाद मुंबई के आजाद मैदान में समर्थकों ने जश्न मनाया।
मनोज जरांगे ने समर्थकों से कहा कि सब अपने-अपने गांव संभलकर जाएं। मुझे अस्पताल जाना पड़ेगा, मैं बाद में आकर सब से मिलूंगा। इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि आंदोलन की कई प्रमुख मांगें सरकार ने मान ली हैं।
सरकार ने जरांगे पाटिल की 8 में से 6 मांगें मान ली हैं, जबकि बाकी 2 पर प्रक्रिया जारी है।
मानी गई 6 मांगें इस प्रकार हैं –
मराठा-कुणबी एक जीआर : सरकार ने कहा है कि प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन आदेश जारी नहीं हुआ।
सगे-सोयरे प्रमाणपत्र की जांच : इस पर भी प्रक्रिया जारी है, लेकिन अभी अंतिम निर्णय नहीं आया है।
यह हैदराबाद रियासत का सरकारी आदेश है, जिसमें कुनबी जाति को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग बताया गया था। आंदोलनकारियों का कहना है कि मराठा = कुनबी है, इसलिए अगर कुनबी को ओबीसी में मान्यता मिली थी तो मराठों को भी उसी श्रेणी में रखा जाना चाहिए।
इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने आंदोलन और ट्रैफिक जाम पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि लाखों लोग मुंबई पहुंचे और गाड़ियां जहां-तहां खड़ी कर दीं, जिससे आम लोगों को परेशानी हुई। कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि स्थिति को बिगड़ने क्यों दिया।
कोर्ट ने आंदोलनकारियों को चेतावनी दी कि अगर तुरंत जगह खाली नहीं की गई तो दोपहर 3 बजे के बाद सख्त कार्रवाई होगी। सरकार ने कोर्ट को फोटो और वीडियो सबूत भी दिए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि केवल सबूत काफी नहीं हैं, कार्रवाई जरूरी है।