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मणिपुर हिंसा के बीच बड़ा फेरबदल, पी. डौंगल को हटाया; राजीव सिंह बने नए DGP, गृह मंत्री अमित शाह ने कही ये बड़ी बात

इम्फाल। मणिपुर हिंसा के बीच गुरुवार को बड़ा फेरबदल किया गया है। पुलिस बल के प्रमुख पी.डोंगेल को हटा दिया गया है। उनकी जगह अब मणिपुर और त्रिपुरा के 1993 बैच के IPS कैडर राजीव सिंह मणिपुर के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) का कार्यभार संभालेंगे। मणिपुर सरकार के विशेष सचिव जेफ्री की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार मणिपुर के राज्यपाल ने मणिपुर सरकार के OSD (होम) के पद के सृजन का आदेश दिया है, जहां मौजूदा डीजीपी पी. डौंगल पदभार ग्रहण करेंगे।

राजीव सिंह 3 साल के लिए DGP नियुक्त

त्रिपुरा कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी राजीव सिंह को गुरुवार को तीन साल के लिए मणिपुर का नया पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया। वह मणिपुर के 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी पी. डौंगल की जगह लेंगे। उन्हें ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (गृह) के पद पर नियुक्त किया गया है। वह इस महीने के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले थे।

आधिकारिक आदेशानुसार, मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने त्रिपुरा कैडर से मणिपुर कैडर में राजीव सिंह की अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति को ‘जनहित में एक विशेष मामले के रूप में नीतिगत छूट के तहत नियुक्ति की तारीख से तीन साल की अवधि के लिए’ मंजूरी दे दी। कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग के विशेष सचिव एन. जेफ्री ने आदेश में कहा कि सिंह तत्काल प्रभाव से मणिपुर के नए डीजीपी और पुलिस प्रमुख होंगे। राज्य में तीन मई को हिंसा भड़कने के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ के पूर्व प्रमुख कुलदीप सिंह को मणिपुर सरकार का सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था।

गलतफहमी के कारण मणिपुर में हिंसा हुई : शाह

चार दिवसीय मणिपुर दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से हिंसा की जांच कराई जाएगी। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इसके अलावा हिंसा से जुड़े 6 मामलों की जांच CBI करेगी। अमित शाह ने आगे कहा कि मणिपुर हाईकोर्ट के एक जल्दबाजी भरे फैसले और गलतफहमी के कारण यहां हिंसा हुई है। इसके साथ ही शाह ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

मणिपुर हिंसा में 80 से ज्यादा मौतें

अधिकारियों के अनुसार, मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद से मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में 80 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

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