Shivani Gupta
15 Dec 2025
धर्म डेस्क। खरमास हिंदू ज्योतिष में एक विशेष अवधि मानी जाती है, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस वर्ष 16 दिसंबर 2025 से शुरू होगा। ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं और बृहस्पति ग्रह (गुरु) की शुभता कम हो जाती है, तब से इस अवधि की शुरुआत होती है। सूर्य का तेज इस समय कम होने के कारण शुभ-मांगलिक कार्यों को टालने की सलाह दी जाती है।
सूर्य ने 16 दिसंबर 2025 सुबह 4:19 बजे धनु राशि में प्रवेश करेगा। इस समय से ही खरमास का पुण्यकाल शुरू होगा। 16 दिसंबर की सुबह 4:30 बजे से 10:45 बजे तक का समय इस अवधि का शुभकाल माना जा रहा है। विशेष रूप से सुबह 4:30 बजे से 9:30 बजे तक का समय अत्यंत शुभ और लाभकारी है।
खरमास में कई प्रकार के कार्य वर्जित होते हैं। इन निषिद्धताओं का कारण ज्योतिषीय प्रभाव हैं। सूर्य का तेज कम और बृहस्पति की शुभता घट जाने से इस समय में शुभ-मांगलिक कार्य करने से घर परिवार में अशांति, मानसिक तनाव और नकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं।
इस दौरान वर्जित कार्य-
महत्वपूर्ण चेतावनी: यदि कोई जरूरतमंद व्यक्ति मदद मांगने आए, तो उसे खाली हाथ न लौटाएं। दान और जरूरतमंदों की सहायता इस समय पुण्य का कार्य मानी जाती है।
खरमास का महीना केवल निषिद्धताओं का नहीं है, बल्कि पुण्य कर्म और धार्मिक गतिविधियों के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है।
इस अवधि में किए जाने वाले शुभ कार्य:
खरमास में मांगलिक कार्यों की मनाही के बावजूद, वस्त्र, आभूषण, खाद्य सामग्री आदि की खरीदारी करने में कोई हर्ज नहीं है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं और बृहस्पति ग्रह की शुभता कम हो जाती है, तब से खरमास की अवधि शुरू होती है। सूर्य का तेज कम होने के कारण इस समय में शुभ-मांगलिक कार्य निषिद्ध माने जाते हैं।
खरमास की अवधि इस साल 15 दिसंबर 2025 से 14 जनवरी 2026 तक रहेगी। मकर संक्रांति के दिन यानी 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास समाप्त हो जाएगा। इस अवधि में केवल धार्मिक, दान और पूजा संबंधी कार्य करना शुभ माना गया है।
खरमास का महीना सावधानी और पुण्य कर्म का समय है। इस दौरान शुभ-मांगलिक कार्य टालकर धार्मिक, आध्यात्मिक और दान संबंधी कार्य करने चाहिए।