जबलपुरमध्य प्रदेश

किसी का बेटा सन्यासी हुआ, तो किसी बेटी ने मां को घर से निकाल दिया, इनका मदर्स डे कौन मनाएगा?

जबलपुर। आज पूरे देश में मदर्स डे मनाया जा रहा है, लेकिन उन माताओं का मदर्स डे कौन मनायेगा जिन्हें परिवार के ही लोगों ने तिरस्कार कर दिया हो। हम कुछ ऐसी ही माताओं के बारे में बता रहें है जिनके बेटे और बेटियों ने निराश्रित वृद्ध आश्रय गृह तिलवारा रोड जबलपुर में उन्हें छोड़ दिया है। ऐसा नहीं है कि ये उनकी सगी संतानें नहीं है बल्कि वे अपने दायित्वों से मुंह मोड़ कर अपनी मॉं को भूल गये है। आज हम ऐसी ही तीन माताओं के बारे में बता रहें है जिनके परिवार होने के बाद भी आज वे निराश्रित आश्रय गृह में अपना जीवन काट रही है। इन माताओं से जब हमने पूछा कि आपका मदर्स डे कौन मनाता है तो उनका जबाव था कि कौन मनायेगा हमारा मदर्स डे?

मॉ का दर्द, मॉ की जुबान से
केस नं. 1


पुष्पा रामचंद्र पिल्ले उम्र 80 वर्ष ने बताया कि उनके पति का देहान्त 40 साल पहले हो गया हैं। उनके दो बेटे भी थे जिनका भी देहान्त हो गया है। लेकिन दोनों बहू और नाती है कोई मतलब नहीं रखते है। खास बात ये है कि बेटी इसी शहर जबलपुर में रहती है। लेकिन उसने भी हमसे नाता तोड़ लिया है। आज मैं अकेले निराश्रित वृद्ध आश्रय गृह तिलवारा में रह रही हूं। जहां मुझसे मिलने के लिए कोई नहीं आता है।

समझ में नहीं आता है कि कौन मनायेगा मदर्स डे मेरा?
केस नं.2

सुहागरानी झारिया उम्र 70 वर्ष का कहना है कि मेरे पति की मृत्यृ 20 साल पहले हो गई है। मेरे दो बेटे है एक बेटा सन्यासी हो गया है तो दूसरा बेटा विकलांग है। हालांकि दोनों बेटे मुझसे मिलने के लिये निराश्रित वृद्ध आश्रय गृह दो तीन माह कभी कभार आ जाते है लेकिन वे अपने साथ मुझे घर नहीं ले जाते है। बाकी के रिस्तेदार भी है लेकिन किसी को कोई मतलब नहीं है। अब ऐसे में कौन है जो मेरा मदर्स डे मनायेगा।

केस नं.3

मीना श्रीवास्तव उम्र 70 वर्ष इनका कहना है कि मेरे पति की मृत्यृ 8 साल पहले हो चुकी है। मेरे दो बेटे थे उनका भी देहान्त हो चुका है। मैं इस आश्रय गृह में कई सालों से रह रही हूं। चूंकि मैं जबलपुर गढ़ाफाटक से हूं तो मेरे सारे रिश्तेदार यही पर है मेरे भाई और अन्य लोग भी। लेकिन यहां पर मुझसे मिलने के लिए कोई नहीं आता है। आपने पूछा कि मदर्स डे हम कैसे सैलिबेशन करते हैं तो हमारे साथ है कौन जो मदर्स डे मनायेगा।

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