ताजा खबरभोपालमध्य प्रदेश

मां की ममता…बिछड़े बेटे के इंतजार में 10 साल घर की दहलीज तक नहीं लांघी, मिला तो गले लग फूट कर रोई

6 महीने में बाल कल्याण समितियों के प्रयास से 16 बच्चे घर वापस पहुंचे

पल्लवी वाघेला-भोपाल। सामने मां खड़ी थी, छोटा भाई भी साथ था, पर वह धुंधली सी यादों में बसी अपनी मां को नहीं पहचान पा रहा था। लेकिन 6 साल की उम्र में बिछड़े अपने जिगर के टुकड़े को मां ने तुरंत पहचान लिया। दस साल बाद मिले बेटे को गले से लगाकर फूट-फूटकर रोने लगी। कह-रही थी, तू इतने दिन कहां रहा, …तुझे तलाशते-तलाशते तेरे पिता भी हमें छोड़कर इस दुनिया से चले गए..। बेटा अचानक न आ जाए, इस आस में मां ने दस साल तक घर नहीं छोड़ा।

दरअसल, अमित 6 साल की उम्र में बैरसिया क्षेत्र से भोपाल घूमने निकला था और पंजाब पहुंच गया। पांच साल पहले उसे सड़क पर काम करते हुए रेस्क्यू किया गया था। अब पंजाब और भोपाल की बाल समिति के प्रयास से वह घर पहुंचा। यह अकेले अमित की कहानी नहीं है। अमित की तरह ही अन्य 15 बच्चों का भी पिछले छह महीने में समिति ने पुनर्वास कराया है।

ये बच्चे मप्र या अन्य राज्यों से दो साल से अधिक समय से परिवार से बिछड़े हुए थे। साल 2022 में राष्ट्रीय बाल आयोग ने निर्देश दिए थे कि आश्रय गृहों में रह रहे बच्चों की उनके परिवारों में वापसी तय की जाए। समिति प्रयासरत है कि बच्चे परिवारों में वापस पहुंच सकें। पुनर्वास हुए 16 में से 9 बच्चे मप्र के हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जो आठ-दस सालों से दूसरे राज्यों के शेल्टर होम में रह रहे थे।

केस-1

राजस्थान के उदयपुर स्थित शेल्टर होम में एक 16 वर्षीय किशोरी सात साल की उम्र से रह रही थी। भोपाल समिति को सूचना मिलने पर परिवार की खोज शुरू हुई। आखिर, भोपाल का यह मजदूर परिवार छतरपुर में मिला। 9 साल बाद किशोरी परिवार से मिली। परिवार ने कहा कि बच्ची का मिलना चमत्कार ही है।

केस-2

15 वर्षीय स्पेशल चाइल्ड को भी यूपी में उसके घर पहुंचाया गया। मामले में किशोर के पिता भी दिव्यांग हैं। वह रेलवे स्टेशन और अपने एरिया के बच्चे की गुमशुदगी के पोस्टर लगाकर उसकी खोज कर रहे थे। बच्चा दो साल पहले घर से गायब हुआ था। उन्होंने कहा कि बच्चे के मिलने की खुशी को शब्दों में नहीं कह सकते हैं।

बच्चों की परवरिश के लिए परिवार सबसे बेहतर

यह हर बच्चे का अधिकार है कि उसका पालन-पोषण पारिवारिक माहौल में हो। हमारा लगातार प्रयास है कि परिवार से बिछड़े बच्चों को परिवार में पहुंचाया जाए ताकि अच्छी परवरिश हो सके। – जागृति किरार, अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी, भोपाल

संबंधित खबरें...

Back to top button