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रीवा और सतना सीट पर कड़ा मुकाबला, खजुराहो में जीत के अंतर को लेकर चिंता

दूसरे चरण के मतदान ने दोहराया 2014 का लोकसभा चुनाव

पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। सतना के ओमप्रकाश कहते हैं कि वोटिंग के लिए उदासीनता का कारण रोजगार नहीं मिलना है। छतरपुर के कुंदन वर्मा के अनुसार वर्तमान सांसद ने क्षेत्र के के लिए कुछ नहीं किया। टीकमगढ़ के उपेन्द्र त्रिपाठी कहते हैं कि कांग्रेस का मजबूत प्रत्याशी नहीं होने से भाजपा ही विकल्प थी। प्रदेश में दूसरे चरण के लिए खजुराहो, होशंगाबाद, सतना, रीवा, दमोह और टीकमगढ़ में हुए कम मतदान से भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। इन सीटों पर पिछले चुनाव की अपेक्षा 14% तक मतदान कम है। वर्ष 2014 के चुनाव में भी होशंगाबाद को छोड़कर अन्य सीटों पर अधिकतम 55% तक मतदान हुआ था।

रीवा: कम मतदान से भाजपा को नुकसान

रीवा में पिछला चुनाव भाजपा ने तीन लाख से अधिक वोटों से जीती थी। इस बार कांग्रेस से कड़ा मुकाबला होना माना जा रहा है। अब मतदान प्रतिशत घटने से भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। यहां से भाजपा ने जनार्दन मिश्र और कांग्रेस ने नीलम मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा है।

सतना: बसपा ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला

सतना लोकसभा सीट पर भाजपा से एक बार फिर गणेश सिंह मैदान में हैं, कांग्रेस ने विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा और बसपा से नारायण त्रिपाठी प्रत्याशी हैं। कांग्रेस और भाजपा में पिछड़ा वर्ग के वोट लेने को लेकर संघर्ष है जबकि बसपा की ब्राह्मण और अहिरवार वोट पर सेंधमारी है। भाजपा को नागौद विधानसभा में इसलिए कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है क्योंकि यहां के भाजपा विधायक नागेन्द्र सिंह कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह को भाजपा में शामिल करने से नाराज हैं। वहीं रैगांव विधानसभा क्षेत्र में पटेल और कुर्मी वर्ग के वोट कम होने से भाजपा को नुकसान हो सकता है।

खजुराहो: मुकाबला नहीं, पर कम मतदान से चिंता

खजुराहो सीट पर भाजपा प्रत्याशी वीडी शर्मा ने 2019 का चुनाव 4.92 लाख वोटों से जीता था। तब मतदान प्रतिशत 68.30 था। इस बार मतदान करीब दस प्रतिशत तक गिरने की उम्मीद है। इससे प्रदेश में जीत का रिकॉर्ड खजुराहो से बनने की संभावना पर पानी फिर सकता है। हालांकि यहां भाजपा अपने लिए कोई चुनौती मिलना नहीं मान रही है। खजुराहो सीट पर मतदान कम होने के पीछे कांग्रेस से प्रत्याशी का उतरना भी नहीं माना जा रहा है। इंडिया गठबंधन ने अन्य पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन दिया है।

टीकमगढ़: जीत का अंतर घटेगा

टीकमगढ़ सीट पर2019 में 66.61 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार ये 60 फीसदी से अधिक है। इन आंकड़ों से माना जा रहा है कि टीकमगढ़ में भाजपा का वोट प्रतिशत नीचे आ सकता है।

होशंगाबाद: सभी सीटों में सबसे ज्यादा वोटिंग यहां

दूसरे चरण में सिर्फ होशंगाबाद मेंं मतदान प्रतिशत 70 से अधिक रहने की संभावना है। पिछले चुनाव में 74.49 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। तब भाजपा को बड़ी जीत मिली थी। इस बार भी यही उम्मीद की जा रही है।

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