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2018: चंबल में मतदान प्रतिशत सबसे कम, इसे बढ़ाने अफसर संभालेंगे बूथ

शिवराज सिंह और कमलनाथ के जिलों में मतदान प्रतिशत अच्छा

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत 80 से अधिक होने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारियों को कई नवाचार करने पड़ रहे हैं। सबसे ज्यादा चुनौती ग्वालियर-चंबल संभाग की सीटों पर है। यहां अबतक मतदान का प्रतिशत 65 के अंदर है। सबसे कम मतदान भिंड जिले के गोहद में 59 फीसदी तक है। जबकि अलीराजपुर जिले के जोबट में 51 फीसदी है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के छिंदवाड़ा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सीहोर जिले में मतदान प्रतिशत सभी जिलों से बेहतर है। प्रदेश में पिछले तीन विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन और ग्वालियर जिलों में मतदान का प्रतिशत अन्य जिलों की अपेक्षा कम रहता है।

जिन जिलों में कम मतदान रहा, वहां निर्देश दिए हैं कि इस बार माइक्रो लेवल पर कारण जाने जाएं और मतदान प्रतिशत बढ़ाने रणनीति बनाएं। सबसे कम मतदान प्रतिशत वाला भिंड जिला है। भिंड के सुरेन्द्र सिंह भदोरिया कहते हैं कि जब उनके मन का प्रत्याशी नहीं होता तो वोट डालने नहीं जाते।

65 फीसदी से कम मतदान वाले क्षेत्र में मुरैना-भिंड

वर्ष 2018 के चुनाव में मुरैना, अटेर, भिंड, लहार, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर साउथ, चंदला, सिरमौर, देवतालाब, मनगवां, चितरंगी, भोपाल मध्य, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, गोविंदपुरा, झाबुआ, इंदौर 2 और इंदौर-5 में 65 फीसदी से कम मतदान हुआ।

जबलपुर क्षेत्र

जबलपुर में इसलिए कम रहता है मतदान प्रतिशत

मतदान के दिन फैक्ट्री की छुट्टी घोषित होने से मजदूर घरों से नहीं निकलते। कैंट एरिया में उन सैनिकों के नाम दर्ज रहते हैं जो तबादले पर चले जाते हैं। पलायन भी एक समस्या है। महिला मतदाता भी घरों से कम निकलती हैं।

उम्मीद है इस बार मतदान 80 प्रतिशत तक ले जाएं

पिछले चुनाव में औसतन 72 प्रतिशत मतदान हुआ था, इस बार कैंट एरिया में उन सैनिकों के नाम हटाने का अभियान चलाया जो बाहर चले गए हैं। साथ ही फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों से संपर्क करते हुए मतदान के लिए प्रेरित किया है । -सौरभ के सुमन, कलेक्टर, जबलपुर

चंबल क्षेत्र

ब्राह्मण-राजपूत समाज के वोटर कम जाते हैं वोट डालने

भिंड जिले के गोहद में वोट देने ब्राम्हण और राजपूत समाज के वोटर घर से कम निकलते हैं। अन्य सीटों के प्रत्याशियों को वोट देने में बघेल, कुशवाहा सहित अन्य ओबीसी वर्ग के मतदाता पीछे रहते हैं।

वर्ष 2018 के चुनाव में कम वोटिंग के ये हैं कारण

दीवाली के 15 दिन बाद वोटिंग थी। इससे मजदूर वर्ग के लोग काम की तलाश में परंपरा अनुसार पलायन कर गए। जिलों के ज्यादातर युवा वोटर्स ग्वालियर में पढ़ते हैं, ऐसे लोग भी वोट नहीं दे सके।

वोट प्रतिशत बढ़ाने कलेक्टर ने यह बनाई रणनीति

जिले के एक-एक अफसर को पांच-पांच बूथ की जिम्मेदारी दी गई है। मैने खुद पांच बूथ लिए हैं। साइकिल रैली, पेंटिंग प्रतियोगिताएं की हैं। घर-घर जागरुकता अभियान भी चला रहे हैं। उम्मीद है कि इस बाद मतदान प्रतिशत 70 तक ले जाएंगे। -संजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर, भिंड

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