Naresh Bhagoria
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Manisha Dhanwani
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जबलपुर। रेल हादसे में एक बेटे की मौत पर मुआवजे के रूप में मिले 8 में से 6 लाख दूसरे बेटे की शादी में खर्च करने पर हाईकोर्ट ने हैरानी जताई है। जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने दो टूक कहा कि मुआवजे की रकम इसलिए मिली थी, ताकि याचिकाकर्ता दंपत्ति के बुढ़ापे में वह काम आ सके। मुआवजा राशि जीवन-यापन और भविष्य की सुरक्षा के लिए दी जाती है, न कि समारोहों में पानी की तरह बहाने के लिए। इस मत के साथ बेंच ने मुआवजे के बचे दो लाख रुपए निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
अदालत ने यह फैसला सागर में रहने वाले सुजान सिंह और उसकी पत्नी राधा बाई की याचिका पर दिया। दंपत्ति के बेटे नीरज की मौत 26 फरवरी 2020 को भोपाल बिलासपुर एक्सप्रेस से गिरने से सागर स्टेशन पर मौत हो गई थी। रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल भोपाल ने 3 दिसंबर 2021 को 8 लाख रुपए का मुआवजा मृतक के माता-पिता को देने के आदेश दिए थे। मुआवजे के बचे दो लाख रुपए निकालने की अनुमति ट्रिब्यूनल द्वारा न दिए जाने पर यह मामला हाईकोर्ट में दाखिल किया गया था।
सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि दूसरे बेटे की शादी में याचिकाकर्ताओं ने 8 लाख में से 6 लाख रुपए खर्च कर दिए हैं। अब सिर्फ राधा बाई के नाम पर दो लाख रुपए जमा हैं। तीसरे बेटे की शादी के लिए वह दो लाख रुपए निकालना चाह रहे हैं। फैसले में अदालत ने कहा- यह स्पष्ट रूप से वित्तीय अपरिपक्वता और मुआवजे की रकम की फिजूलखर्ची का मामला है। एक बेटे की मौत पर मिली मुआवजे की रकम दूसरे बेटे की शादी में उड़ाना सबसे खराब उदाहरण है। अदालत ने दो लाख रुपए निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।