Naresh Bhagoria
8 Dec 2025
गुना। दीपावली के त्योहार पर जब पूरा देश रोशनी और उत्सव में डूबा था, तब गुना जिला अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूता रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश राजपूत ने अपने कर्तव्य और मानवीय संवेदनाओं की मिसाल पेश की। डॉ. राजपूत ने छुट्टी के दिन इमरजेंसी सर्जरी कर एक गर्भवती महिला की जान बचाई। महिला के गर्भ में बच्चा पहले ही मर चुका था और बच्चेदानी फट चुकी थी। जिसकी वजह से उसकी जान भी जा सकती थी।
दीपोत्सव की पूर्व संध्या यानी 19 अक्टूबर की शाम करीब 5:30 बजे, ग्राम सूजाखेड़ी निवासी निकिता पत्नी सोनू यादव को प्रसव पीड़ा होने लगी। जिसके बाद उसे जिला अस्पताल लाया गया। जांच में पाया गया कि, गर्भ में ही बच्चे की मौत हो चुकी थी और मृत बच्चा गर्भ में फंसा हुआ था। स्थिति गंभीर होने के साथ ही महिला का ब्लड प्रेशर कम हो रहा था और बच्चेदानी के फटने का खतरा बढ़ता जा रहा था। ऐसे में अस्पताल के गायनोकॉलॉजिस्ट डॉ. सतीश राजपूत ने बताया कि नॉर्मल डिलीवरी संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि, सर्जरी ही एकमात्र रास्ता है।
डॉ. राजपूत ने तुरंत सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र रघुवंशी को स्थिति से अवगत कराया। उनके मार्गदर्शन में मरीज के परिजनों की सहमति लेकर ऑपरेशन शुरू किया। ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि प्रसूता की बच्चेदानी पहले ही फट चुकी थी, जिससे उसकी जान को खतरा था। फिर भी डॉक्टरों की टीम ने बिना समय गंवाए मृत बच्चे को निकाला और लगातार बह रहे खून को नियंत्रित किया। एक यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ी, जिसकी व्यवस्था कर महिला की जान बचा ली गई।
ऑपरेशन करने वाले डॉ. सतीश राजपूत ने बताया कि, स्थिति अत्यंत संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण थी। उन्होंने कहा कि, प्रसूता के गर्भ में बच्चे की मौत हो चुकी थी, जो किसी भी मां के लिए बहुत बड़ा मानसिक झटका होता है। उसकी हालत देखकर हमने तय किया कि चाहे कुछ भी हो जाए, हमें उसकी जान बचानी ही है और हम ऐसा करने में सफल भी रहे। फिलहाल प्रसूता की हालत स्थिर है और उसे डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया है।
इस कठिन ऑपरेशन को सफल बनाने में कई लोगों का अहम योगदान रहा-
निश्चेतना विशेषज्ञ- डॉ. रुचि राणा
सहायक चिकित्सक- डॉ. दिव्या बारेला
स्टाफ नर्स- नीरमा, नेहा, नगमा
वार्ड बॉय- सुरेखा नईम
इन सभी ने दीपावली के अवकाश के बावजूद तुरंत अस्पताल पहुंचकर अपने दायित्व को निभाया।
जिला अस्पताल के स्टाफ और स्थानीय लोगों ने डॉ. सतीश राजपूत और उनकी टीम के इस कदम की सराहना की है। त्योहार के दिन भी अपने फर्ज को सर्वोपरि मानने वाले इन चिकित्सकों ने यह साबित कर दिया कि असली दिवाली की रोशनी मानवता की सेवा में ही बसती है।