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भोपाल में एक माह में 7 टीनएजर्स कर चुके खुदकुशी, काउंसलर्स से पूछ रहे पैरेंट्स-बच्चों को कैसे ट्रीट करें

विभिन्न हेल्पलाइन पर भोपाल के 61 अभिभावकों ने चार माह में मांगी मदद

पल्लवी वाघेला-भोपाल। एक हफ्ते पहले भोपाल के अरेरा थाना क्षेत्र में 13 वर्षीय किशोरी ने आत्महत्या कर ली थी। नवंबर में सिर्फ भोपाल में 7 टीनएजर्स खुदकुशी कर चुके हैं। इनमें छह की उम्र 13 से 16 साल के बीच थी। इधर, सुसाइड से चिंतित पैरेंट्स हेल्पलाइन्स पर पूछ रहे हैं कि बच्चों को कैसे ट्रीट करें। जानकारी के अनुसार, बीते चार माह में भोपाल के 61 अभिभावक हेल्पलाइंस से मदद मांग चुके हैं।

केस-1

बैरागढ़ से पैरेंट ने उमंग हेल्पलाइन पर बताया कि बच्चे का रिजल्ट बीते साल से मोबाइल के कारण खराब आ रहा है। मोबाइल लिया तो आत्महत्या की कोशिश की।

केस-2

काउंसलर से पिता ने चिंता जताई कि 15 साल की बेटी से मोबाइल लेने या गलत दोस्तों का साथ छोड़ने को कहो तो घर छोड़ने और मरने की धमकी देती है।

277 आत्महत्याएं

  • पियर प्रेशर, परीक्षा में फेल होने जैसे कारण से बीते वर्ष मप्र के 277 स्टूडेंट ने आत्महत्या की, जो देश में सर्वाधिक है।
  • महाराष्ट्र देश में दूसरे नंबर पर है।

पियर प्रेशर, मोबाइल पर रोक-टोक अहम कारण

मनोवैज्ञानिकों की माने तो टीनएज आत्महत्या के पीछे पियर प्रेशर और मोबाइल पर रोक-टोक अहम कारण है। तीसरा मुख्य कारण ब्रेकअप या इमोशनल ब्लैकमेल है। पारिवारिक विवाद, कुछ गलत करके पकड़े जाने का डर जैसे कारणों से भी बच्चे आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम उठाते हैं।

अभिभावकों ने मांगी मदद

  •  निजी काउंसलर से मदद : 44
  • उमंग हेल्पलाइन : 9
  • चाइल्ड हेल्पलाइन : 8 (बीते चार माह में भोपाल के अभिभावकों की संख्या)

बच्चों के सुसाइड के बढ़ते मामलों से पैरेंट्स तनाव में हैं। पैरेंट्स बच्चों से दोस्ताना संवाद रखे। बिना जबरदस्ती किए बच्चों का इंट्रेस्ट और मनोदशा समझकर उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करें। मोबाइल की लत छुड़ाने उन्हें दूसरी एक्टिविटी से जोड़े। – दिव्या दुबे मिश्रा, मनोवैज्ञानिक

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