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पहाड़ों को काटकर बने 1800 वर्ष पूर्व के 30 मंदिरों की लगाई प्रदर्शनी

जीपी बिड़ला संग्रहालय में पाषाणों पर देवालय निर्माण परंपरा के मंदिरों के छायाचित्रों की लगाई प्रदर्शनी

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सहयोग से जीपी बिड़ला संग्रहालय में मंदिरों के छायाचित्रों की शृंखला की प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में 1800 वर्ष पूर्व के पाषाणों पर देवालय निर्माण परंपरा के प्रारंभिक चरण से लेकर 13वीं शताब्दी तक के 30 मंदिरों शामिल किया गया है। बिड़ला संग्रहालय में लगी प्रदर्शनी में लगाए गए मंदिरों के छात्राचित्रों में ऐसे मंदिरों को शामिल किया गया है जो कि पहाड़ों को काटकर उन्हीं में मंदिर निर्माण किया गया है।

इनमें स्वतंत्र रूप से सपाट छत, मंजरियों युक्त ललाट, सुखनासा, आमलक, घट पल्लव, नागर शैली, वेसर शैली, भूमिज शैली के साथ उत्तर और दक्षिण भारतीय शैली के मंदिरों को शामिल किया गया है। प्रदर्शनी में मुरैना जिले के मितावली, विदिशा के उदयगिरि, भोजपुर मंदिर ग्यारसपुर, वासवी धार, नेमावर के देवालय एवं बटेश्वर के देवालय, सासबहू के मंदिर, धामनार के देवालय, मालादेवी के देवालय जैसे कई पुराने मंदिरों के छायाचित्रों को लगाया गया है।

प्रदर्शनी में इन मंदिरों को किया शामिल

प्रदर्शनी में पुरातत्व विभाग के अधीन आने वाले विदिशा जिले उदयपुर स्थित 11वीं शताब्दी का उदेश्वर महादेव मंदिर, रायसेन जिले के सांची स्थित 5वीं शताब्दी में बने मंदिर क्रमांक 5 और 11वीं शताब्दी के मंदिर क्रमांक 45 शामिल किया गया है। वहीं ग्वालियर जिले के अमरोल स्थित 9वीं शताब्दी का महादेव मंदिर, ग्वालियर किला स्थित 9वीं शताब्दी में बना तेली का मंदिर, शिवपुरी के महू स्थित 8वीं शताब्दी का छोटा शिव मंदिर, तेरही स्थित मोहजमाता मंदिर के छायाचित्रों को भी प्रदर्शनी में लगाया गया है।

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