रक्षा मंत्रालय के निर्देश पर 1 अक्टूबर से ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (Ordinance Factory Board) का अस्तित्व खत्म हो गया, अब इसका संचालन संबंधित निगम करेंगे। ऐसे में जबलपुर जिले में आने वाली चारों रक्षा फैक्ट्रियों का भी निगमीकरण हो गया है। बता दें कि आयुध निर्माणियों के नाम में कोई परिवर्तन नहीं होगा बल्कि उनके आगे संबंधित निगम लिखा जाएगा। साथ ही ये रक्षा मंत्रालय के अधीन ही हाेंगी।
रक्षा मंत्रालय सीधे नहीं दे सकेगा काम
निगमीकरण के बाद सेना की ओर से इन कारखानों को सीधे काम नहीं दिए जा सकेंगे। इसके पहले तक रक्षा मंत्रालय द्वारा निर्माणियों को सीधे टेंडर दिए जाते थे। अब सरकार डिफेंस सेक्टर में जो भी टेंडर डालेगी, इसमें इन कंपनियों को भी भाग लेना पड़ेगा। बिड क्वालिफाई करने के बाद ही इनको कंपनियों को काम मिलेगा। सरकार इसलिए भी ऐसा करना चाहती है जिससे ये कंपिनयां प्राइवेट कंपनियों को टक्कर दें। इन सभी कंपनियों का पंजीकरण रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) में कराया गया है।
शहर की आयुध निर्माणियां इनके अधीन
- आयुध निर्माणी खमरिया (1904)-म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड पुणे
- वीकल फैक्ट्री जबलपुर (1942)-आर्म्ड वीकल्स निगम लिमिटेड चेन्नई
- गन कैरिज फैक्ट्री (1969)-एडवांस वेपंस एंड इक्विमेंट इंडिया लिमिटेड कानपुर
- ग्रे आयरन फाउंड्री (1973)-यंत्र इंडिया लिमिटेड
फैक्ट्रियों के पास है इतनी जमीन
- 4500 एकड़ ओएफके के पास
- 1900 एकड़ जीसीएफ के पास
- 900 एकड़ जीआईएफ और वीएफजे के पास
कर्मचारियों ने मनाया काला दिवस
आयुध निर्माणी खमरिया के निगमीकरण के विरोध में ओएफके लेबर यूनियन कामगार यूनियन एवं एसटी/एससी यूनियन द्वारा प्रदर्शन किया गया। इस दौरान रामप्रवेश, अर्नब दास गुप्ता, पुष्पेंद्र सिंह, संतोष सिंह, हरीश चौबे, गौतम शर्मा आदि उपस्थित रहे।
निगमीकरण से एक लाभ यह भी
जानकारी के मुताबिक अब काम के मुताबिक स्थानीय स्तर पर लोगों की नियुक्ति की जा सकेंगी। पहले यहां केवल रक्षा मंत्रालय ही नियुक्ति करता था। इससे जबलपुर संभाग को फायदा हो सकता है। ऐसा भी बताया गया कि लंबे समय से कर्मचारियों के रिटायरमेंट होते रहे हैं, पर यहां नियुक्तियां नहीं हो रही थीं।