Mithilesh Yadav
6 Oct 2025
Mithilesh Yadav
6 Oct 2025
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6 Oct 2025
रायपुर/नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिल सकी है। अग्रिम जमानत और PMLA की धाराओं को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब भी कोई प्रभावशाली व्यक्ति किसी मामले में शामिल होता है, तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉय-माल्या बागची की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा- यदि हम ही सारे केस सुनेंगे, तो फिर बाकी अदालतों का क्या काम रहेगा? एक आम आदमी और उसके वकील को सुप्रीम कोर्ट में जगह कहां मिलेगी?"
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की प्रकृति पर भी सवाल उठाए, जिसमें PMLA की विभिन्न धाराओं को चुनौती देने के साथ ही व्यक्तिगत राहत (जमानत) की मांग की गई थी। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को उचित फोरम यानी हाईकोर्ट में ले जाने की सलाह दी।
शराब घोटाले में गिरफ्तार चैतन्य बघेल की न्यायिक हिरासत 14 दिन और बढ़ा दी गई है। सोमवार को ED की विशेष अदालत में पेशी के बाद कोर्ट ने उन्हें 18 अगस्त तक जेल में भेजने का आदेश दिया। इससे पहले भी वह रायपुर जेल में बंद हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल पर शराब घोटाला, कोयला घोटाला और महादेव सट्टा ऐप घोटाले जैसे मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED), आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और CBI जैसी केंद्रीय एजेंसियों की जांच चल रही है। इन्हीं मामलों में गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिकाएं दायर की थीं।
याचिका में भूपेश बघेल ने कहा कि, जैसे मेरे बेटे को राजनीतिक द्वेष में फंसाकर गिरफ्तार किया गया, वैसे ही मुझे भी टारगेट किया जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट में बघेल की ओर से दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की गई थीं। याचिका क्रमांक 303, जिसमें उन्होंने PMLA की धारा 45 की वैधानिकता को चुनौती दी थी, कोर्ट ने उसे सुनने से इनकार कर दिया। उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे वापस ले लिया। याचिका क्रमांक 301 पर अब 6 अगस्त को सुनवाई होगी।
PMLA की धारा 45 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जमानत पाना मुश्किल होता है, जब तक अभियोजन पक्ष यह साबित न करे कि अभियुक्त निर्दोष है। बघेल ने इसी प्रावधान को संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए इसे चुनौती दी है।