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Human Brain Implant : ब्रेन चिप का पहला प्रयोग फेल! मस्कै की कंपनी न्यूरालिंक ने कहा- इंसान के दिमाग में लगी चिप में आई खराबी

टेक्नोलॉजी डेस्क। इंसान के दिमाग में चिप लगाने का पहला प्रयोग फेल होता नजर आ रहा है। टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक कॉर्पोरेशन ने पिछले महीने एक शख्‍स के दिमाग में सर्जरी करके यह ब्रेन चिप लगाई थी। ब्रेन टेक्नोलॉजी से जुड़ी इस कंपनी का कहना है कि, चिप में खराबी आ गई है। कंपनी ने दोबारा ऐसा प्रयोग करने की बात कही है।

दिमाग के टिशू से हटने लगे थे थ्रेड

कंपनी ने इस साल जनवरी में लकवाग्रस्‍त 29 वर्षीय नोलैंड आर्बॉघ नाम के एक शख्स के दिमाग में सर्जरी करके चिप लगाई थी। इस चिप का उद्देश्य इंसान के दिमाग को ज्यादा ताकतवर बनाना था। चिप से जुड़े कुछ महीन इलेक्ट्रोड थ्रेड (बहुत बारीक वायर) को दिमाग के टिशू (ऊतकों) से जोड़ा गया था। कंपनी ने कहा कि, पिछले महीने ही हमने आर्बॉघ का नौ मिनट का एक वीडियो लाइवस्ट्रीम भी किया था जिसमें दिखाया गया था कि यह तकनीक कैसे काम करती है। लेकिन चिप लगने के कुछ हफ्ते बाद ही इसमें मैकेनिकल समस्याएं आनी शुरू हो गईं थीं। ये थ्रेड दिमाग के टिशू से हटने शुरू हो गए थे। कंपनी ने स्वीकार किया कि उनकी इस डिवाइस ने सही से काम नहीं किया था।

कंपनी के मुताबिक, इस समस्या को एक सॉफ्टवेयर के जरिए सही कर दिया गया था। जिसके बाद चिप ने बेहतर काम किया, अब इस पर कंट्रोल के लिए काम किया जा रहा है। कंपनी का उद्देश्य इस चिप को रोबोटिक आर्म और व्हीलचेयर में इस्तेमाल करना है ताकि इसे वे लोग आसानी से इस्तेमाल कर सकें जो दिमागी रूप से विकसित नहीं होते।

यह इंसान के लिए सुरक्षित नहीं : बेंजामिन

इस कंपनी की शुरुआत एलन मस्क द्वारा साल 2016 में की गई थी। इसका उद्देश्य ऐसी चिप बनाना है जो इंसान के दिमाग और कंप्यूटर के बीच में बेहतर कम्यूनिकेशन स्थापित कर सके।

वहीं हाल ही में न्यूरालिंक कंपनी के को-फाउंडर बेंजामिन रापोपोर्ट ने इस कंपनी को छोड़ दिया है। उन्होंने कंपनी के कामकाज को लेकर सवाल उठाए थे। पेशे से न्यूरोसर्जन बेंजामिन ने एक पॉडकास्ट में बताया कि, कंपनी जो काम कर रही है, वह इंसान के लिए सुरक्षित नहीं है। कंपनी द्वारा जिन छोटे-छोटे इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल किया जा रहा है, वे इंसान के दिमाग को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

22 हजार लोगों पर लगेगी ब्रेन चिप

कंपनी का लक्ष्य 2030 तक 22 हजार लोगों पर ब्रेन चिप को इंप्लांट करने का था। साल 2016 में न्यूरालिंक कंपनी की शुरूआत हुई थी। हालांकि कई बार न्यूरालिंक पर आरोप लग चुके हैं कि वह नियमों को तोड़ रही है।

कंपनी का सिस्टम, जिसे लिंक कहा जाता है, वो  64 थ्रेड्स में 1,024 इलेक्ट्रोड का यूज करके नर्व साइन को रिकॉर्ड करता है जो मानव बाल से भी पतले होते हैं। कंपनी ने दावा किया था कि चिप के जरिए दृष्टिहीन लोग देख पाएंगे। पैरालिसिस के मरीज चल फिर सकेंगे और कंप्यूटर भी चला सकेंगे। कंपनी ने इस चिप का नाम ‘लिंक’ रखा था।

दिमाग से कंट्रोल होंगे स्मार्टफोन और कंप्यूटर

न्यूरोलिंक के प्रोडक्ट को टेलीपैथी नाम दिया है। इसको लेकर मस्क ने बताया यह उन लोगों के लिए बड़ा ही उपयोगी साबित होगा, जिनके हाथ या पैर नहीं है या फिर वह काम नहीं करते हैं। इसकी मदद से यूजर्स दिमाग से ही कंप्यूटर और स्मार्टफोन को कंट्रोल कर सकेंगे। बता दें, एलन मस्क की न्यूरोलिंक कंपनी का मकसद दिमाग और कंप्यूटर के बीच सीधे संचार चैनल बनाना है।

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