
वेटिकन सिटी। कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस की तबीयत शनिवार को फिर से बिगड़ गई। अस्थमा अटैक के कारण उन्हें हाई फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। इससे पहले, शुक्रवार को डॉक्टरों ने उन्हें खतरे से बाहर बताया था और कहा था कि उनकी हालत में सुधार हो रहा है। 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस को फेफड़ों में संक्रमण के चलते एक सप्ताह पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके अलावा, वह निमोनिया और एनीमिया से भी जूझ रहे हैं। शनिवार को एनीमिया के इलाज के लिए उन्हें खून चढ़ाया गया।
तीसरी बार साप्ताहिक एंजेलस प्रार्थना में नहीं होंगे शामिल
वेटिकन प्रेस ऑफिस ने जानकारी दी कि पोप इस बार अपनी साप्ताहिक एंजेलस प्रार्थना सभा में शामिल नहीं होंगे। यह उनके 12 साल के कार्यकाल में तीसरी बार होगा जब वह इस महत्वपूर्ण प्रार्थना में हिस्सा नहीं लेंगे। वेटिकन के अनुसार, बीते दिन की तुलना में पोप के दर्द में वृद्धि हुई है।
बीते एक हफ्ते में पोप की हालत में उतार-चढ़ाव
17 फरवरी: वेटिकन प्रेस ऑफिस ने बताया कि पोप को सांस नली में पॉलीमाइक्रोबियल इन्फेक्शन हुआ है, जिसके कारण उनके मेडिकल ट्रीटमेंट में बदलाव करना पड़ा।
18 फरवरी: वेटिकन ने अपने बयान में कहा कि पोप फ्रांसिस दोनों फेफड़ों में निमोनिया होने के बावजूद अच्छे मूड में हैं।
19 फरवरी: जानकारी दी गई कि पोप की हालत गंभीर बनी हुई है। हालांकि, वह अस्पताल से ही अपने कामकाज को संभाल रहे हैं।
20 फरवरी: पोप के अंतिम संस्कार की रिहर्सल की खबरें सामने आईं। इसके बाद वेटिकन प्रेस ऑफिस ने स्पष्ट किया कि उनकी हालत स्थिर है और ब्लड टेस्ट में सुधार देखने को मिला है। मीडिया रिपोर्ट में बताया कि पोप अपने बेड से उठकर अस्पताल के कमरे में कुर्सी पर बैठने की हालत में हैं।
21 फरवरी: पोप का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर सर्जियो अल्फीरी से पूछा गया कि क्या पोप अब खतरे से बाहर हैं। इस पर उन्होंने ‘नहीं’ में जवाब दिया और कहा कि दोनों संभावनाएं खुली हुई हैं। हालांकि, तत्काल मृत्यु का कोई खतरा नहीं है, लेकिन इलाज में समय लग सकता है। संभावना जताई गई कि उन्हें अगले हफ्ते भी अस्पताल में रहना पड़ सकता है।
22 फरवरी: पोप फ्रांसिस को अस्थमा अटैक आया, जिससे उनकी हालत फिर गंभीर हो गई। एक दिन पहले की तुलना में उनका दर्द भी बढ़ गया। डॉक्टरों ने हाई फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत बताई है।
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