जबलपुरमध्य प्रदेश

बर्खास्त बिशप पीसी सिंह को जबलपुर हाईकोर्ट से राहत, 10 लाख के पर्सनल बॉन्ड पर मिली जमानत

जबलपुर। करोड़ों का फर्जीवाड़ा करने के मामले में जेल में बंद बर्खास्त बिशप पीसी सिंह जबलपुर हाईकोर्ट से राहत मिली है। मंगलवार को पूर्व बिशप पीसी सिंह को 10 लाख रुपये के पर्सनल बॉन्ड पर सशर्त जमानत दी गई है। जमानत के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि पीसी सिंह को देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी। उन्हें पासपोर्ट जमा करना होगा। मामला शैक्षणिक संस्थाओं की राशि के दुरुपयोग व मिशन की संपत्ति का फर्जीवाड़ा किए जाने के आरोप से संबंधित है। इसी सिलसिले में पूर्व बिशप को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

बता दें कि ईओडब्ल्यू इस मामले पार पहले ही चार्जशीट पेश कर चुका है। ईओडब्ल्यू ने बर्खास्त बिशप पीसी सिंह की जमानत का विरोध भी किया था। इससे पहले हाईकोर्ट जस्टिस नंदिता दुबे की कोर्ट ने बिशप पीसी सिंह के मामले में सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था। जिस पर आज अंतिम फैसला सुनाया गया है।

जानें पूरा मामला

8 सितंबर को EOW की टीम ने पूर्व बिशप पीसी सिंह के घर पर छापा मारा था। ट्रस्ट संस्थाओं की लीज रिन्युअल में धोखाधड़ी, 7 करोड़ से अधिक का टैक्स ना चुकाने के मामले सामने आए। स्कूल से आए बच्चों की फीस के ढाई करोड़ से ज्यादा रुपए धार्मिक संस्था और खुद पर खर्च कर दिए। छापे में 17 संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज, 48 बैंक खाते, 1 करोड़ 65 लाख से अधिक नकद, 18 हजार 352 यूएस डॉलर, 118 पाउंड समेत 8 चार पहिया वाहन बरामद हुए। जिसके बाद 12 सितंबर को पीसी सिंह को गिरफ्तार किया गया था।

ईओडब्ल्यू द्वारा की गई जांच में सामने आया है कि बिशप पीसी सिंह ने शैक्षणिक संस्थाओं से वर्ष 2004-05 से वर्ष 2011-12 के बीच करीब 2 करोड़ 70 लाख रुपए की राशि धार्मिक संस्थाओं को ट्रांसफर कर इसका दुरुपयोग किया गया है। इसके साथ ही स्वयं के उपयोग में लेकर गबन करने के आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित पाए गए।

बर्खास्त बिशप पीसी सिंह पर ईओडब्ल्यू के अलावा ईडी ने भी फेमा और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। पीसी सिंह के खिलाफ देश भर में 100 से अधिक मामले दर्ज हैं। सीएनआई ने बिशप और उसके परिवार सहित करीबियों को सभी संस्थाओं और पदों से पहले ही बर्खास्त कर चुका है।

ईओडब्ल्यू को शिकायत मिली थी कि जिसमें बिशप पीसी से चेयरमैन द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया जबलपुर डायोसिस द्वारा दस्तावेजों के आधार पर मूल सोसाइटी का नाम परिवर्तन कर उसका चेयरमैन बनकर पद का दुरुपयोग करते हुए सोसाइटी की विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में प्राप्त होने वाली स्टूडेंट्स की फीस की राशि का उपयोग धार्मिक संस्थाओं को चलाने एवं स्वयं के उपयोग में लाकर गबन किया गया।

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