
जीपी बिड़ला संग्रहालय में रविवार को दीपमाला- चिरागों की दास्तान प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। इस प्रदर्शनी में आफताब अहमद द्वारा पिछले 51 साल से देश-विदेश से एकत्र किए गए लैंप दर्शकों के अवलोकन के लिए रखे गए हैं। इस प्रदर्शनी की खास बात यह है कि दर्शक यहां आकर जर्मनी, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लैंप को देख सकते हैं। प्रदर्शनी की आयोजक खुशनूर अहमद है, जिनके पिता आफताब अहमद ने महज 18 साल की उम्र से लैंप का कलेक्शन करना शुरू किया। वर्तमान में इनके पास 150 से अधिक लैंप है। इनमें सबसे खास लैंप रेलवे पेट्रोमैक्स और मैकेनिकल लैंप आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके अलावा यहां साइकिल लैंप और हंटर लैंप देखने को मिलेंगे। बिड़ला संग्रहालय प्रभारी बीके लोखंडे ने बताया कि प्रदर्शनी में ताम्रपाषाण मिट्टी का दीया, आदिवासी लोहे के दीपक, कांच के मुगल लैंप, केरोसिन तेल के लैंप, लालटेन, मशाल आदि एग्जीबिशन में दर्शक देख सकते हैं।
रेलवे पेट्रोमैक्स लैंप
प्रदर्शनी में रेलवे पेट्रोमैक्स लैंप बेहद खास है। इसके बारे में खुशनूर अहमद ने बताया कि यह लैंप जर्मनी से भारत में आयात किया गया था। विशेष रूप से महाराष्ट्र में रेलवे स्टेशनों और कार्यों में उपयोग किया जाता था। सालों तक इस पेट्रोमैक्स लैंप का यूज किया गया।
मैकेनिकल लैंप
इंग्लैंड का मैकेनिकल लैंप 1912 में भारत में बनाया गया था। इसका नाम हिचकॉक फैन लैंप है। इसमें पंखा चलता है और चाबी भरने के बाद यह लैंप जलता है। इसमें चाबी भरने के बाद यह करीब 12 घंटे चलता है। यह एक दुर्लभ लैंप है। यह लैंप अब कहीं भी आसानी से देखने को नहीं मिलता।
हंटर लैंप
प्रदर्शनी में एक बेहद खास हंटर लैंप रखा गया है। इसके बारे में खुशनूर ने बताया कि यह लैंप इंग्लैंड से आया था। इस लैंप का अंग्रेज जंगल में शिकार के दौरान यूज करते थे। इस लैंप की खासियत यह है कि लैंप में जो सामने ग्लास लगा हुआ है वह बहुत अगल तरह का है। इससे लैंप की रोशनी दूर तक जाती है।
पुराने जमाने के दुर्लभ लैंप देखना रोचक रहा
पुराने जमाने के लैंप व वस्तुओंमें दिलचस्पी रखती हूं। प्रदर्शनी में आकर मुझे दुर्लभ लैंप देखने को मिले। उनके बारे में जानकर बहुत खुशी हुई। इतना पुराना संग्रह सहज कर रखना मुश्किल बात है। -भव्या सिंह, दर्शक
आग जलाने वाला लकड़ी का उपकरण
देश-विदेश के लैंप के अलावा यहां हमें भारत के भी काफी पुराने लैंप देखने को मिले। इसके अलावा पाषाण युग के दीये, मशाल और आग जलाने के लकड़ी के उपकरण भी देखे। -जाह्नवी मिश्रा, दर्शक