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इंदौर बावड़ी हादसा : 1972 में भी 12 वर्ष के मासूम की डूबने से हुई थी मौत, इसके बाद स्लैब डालकर बना दिया मंदिर

हेमंत नागले, इंदौर। स्नेह नगर के श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर की बावड़ी में हुए हादसे के बाद नगर निगम और प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच जानकारी सामने आई है कि 1972 में भी यहां एक हादसा हुआ था। उस वक्त एक बच्चे की बावड़ी में डूबकर मौत हो गई थी। हालांकि, तब बावड़ी पर जाली भी नहीं थी। लेकिन इस पर स्लैब कब डाल दी गई, इस पर न तो जनता और न ही अधिकारियों का ध्यान गया।

यहीं रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी बताते हैं कि 2000 तक इलाके में चार बावड़ी थीं। स्कीम नंबर 31 के सभी रहवासियों को इनसे पानी की आपूर्ति की जाती थी। लेकिन, वर्तमान में इन बावड़ियों पर राजनीतिक दबाव से मंदिर बना दिए गए हैं। कोडवानी कहते हैं कि राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते मंदिर निर्माण हुए हैं। नगर निगम या आईडीए ने बावड़ी पर स्लैब डलवाया। बावड़ी पर मंदिर निर्माण हुआ है। इसका किसी को नोटिस नहीं दिया गया।

ऐसे हुआ था हादसा

कोडवानी ने बताया कि शहर में जब स्कीम नंबर 31 शुरू हुई थी, उस वक्त शहर में सिटी इंप्रूवमेंट ट्रस्ट काम करती थी। यह रूट नंबर 6-7 का हिस्सा था। 1972 में यह हादसा उनके ही मकान में रहने वाले 12 साल के बच्चे राजू श्रीनिवासन के साथ हुआ था। उसके पिता किर्लोस्कर में कार्यरत थे। बच्चा पास के ही लिटिल फ्लावर स्कूल में पढ़ता था। घटना के वक्त 1972 में बावड़ी पर जाली नहीं लगी थी इस कारण से खेलने के दौरान हादसा हुआ था और राजू श्रीनिवासन की डूबने से मौत हो गई।

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कुआं, बावड़ी जाली से ढंकने पर नियम

कोडवानी का कहना है कि इस प्रकार का कोई नियम नहीं है कि बावड़ी या कुएं पर स्लैब डाला जाए, क्योंकि उन्हें केवल जाली से ही ढंका जाता है। इस बावड़ी पर स्लैब किसने डाला है, वह बड़ा सवाल है। नगर निगम या प्राधिकरण दोनों एजेंसियों में से किसी ने इस पर स्लैब डाला तो वह दोनों ही एजेंसी में से एक एजेंसी दोषी मानी जाएगी।

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