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अपार्टमेंट में भी कारगर होते हैं वास्तु के नियम, जिस इमारत में फ्लैट, उसका वास्तु भी देखना जरूरी

न्यूसी समैया, ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु शास्त्राचार्य

आज के समय में खासतौर से बड़े शहरों में स्वतंत्रता मकान के लिए जमीन मिलना आसान नहीं है। आर्थिक कारणों से और सुरक्षा की दृष्टि से लोग बहुमंजिला इमारत में फ्लैट लेकर रहना अधिक पसंद करते हैं। ये फ्लैट्स, जिन्हें अपार्टमेंट भी कहते हैं ये भले ही एक ही बिल्डिंग के बहुत से हिस्से होते हैं, परंतु हर एक हिस्से में वास्तु का बराबर महत्व होता है, क्योंकि हर एक फ्लैट एक स्वतंत्रता इकाई की तरह होता है।

जिस तरह रिहायशी स्वतंत्र मकान, बंगला या कोठी के लिए वास्तु शस्त्र के नियम होते हैं ठीक वैसे ही फ्लैट या अपर्टमेंट के लिए भी वे उतने ही कारगर होते हैं। जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वास्तु शास्त्र के नीयम बहुत लाभदायक होते हैं। फ्लैट के लिए जब भी हम वास्तु के नियम लगाते हैं तब उस फ्लैट के लिए अलग नियम होते हैं और उस इमारत के लिए अलग, जिसमें वह फ्लैट या अपर्टमेंट होता है या जिसका वह एक हिस्सा होता है। अच्छे परिणाम के लिए दोनों का वास्तु दोष से मुक्त होना बहुत आवश्यक है।

हमारा फ्लैट चाहे कितना भी वास्तु सम्मत हो, परंतु यदि वह इमारत या बिल्डिंग वास्तु दोष युक्त है तो हमें बेहतर परिणाम नहीं मिल सकते। पूरी बहुमंजिला इमारत ही वास्तु दोष से मुक्त हो तो उसके रहने वाले रहवासी सदैव सुखी-समृद्ध और स्वस्थ रहेंगे। बिल्डिंग के कुछ हिस्से कॉमन होते हैं, जिनका सभी रहवासी उपयोग करते हैं। उनका वास्तु दोष से मुक्त होना अत्यंत आवश्यक है। अतः जब भी हम किसी बिल्डिंग में कोई फ्लैट लेने जाते हैं तो सर्वप्रथम हमें उस बिल्डिंग के वास्तु पर ध्यान देना चाहिए। इसके बाद फ्लैट की बारी आती है। इसमें सबसे पहले ध्यान देने योग्य बात है कि प्लॉट या भूमि जिस पर वह इमारत बनी है उसका आकार आदि कैसा है?

फ्लैट या प्लॉट से जुड़े वास्तु के नियम

  • वह भूमि या प्लॉट, जिसमें इमारत बनी है वर्गाकार या फिर आयताकार होनी चाहिए।
  • इमारत के चारों ओर खुला स्थान होना चाहिए।
  • दक्षिण पश्चिम की तुलना में उत्तर पूर्व अधिक खुला होना चाहिए।
  • प्रवेश द्वार की दिशा भी बहुत महत्वपूर्ण होती है।
  • इमारत का प्रवेश द्वार पूर्व,उत्तर या उत्तर पूर्व में हो। यदि ऐसा सम्भव नहीं हो तो ये पश्चिम में तो हो सकता है परंतु दक्षिण पश्चिम में कदापि न हो।
  • इमारत में आने और जाने के दो अलग अलग रास्ते होने चाहिए।
  • मुख्यद्वार के सामने कोई अवरोध नहीं होना चाहिए।
  • इमारत के मुख्यद्वार के ठीक सामने बड़े पेड़ पौधे नहीं होने चाहिए। थोड़ी दूरी बनाकर पौधे लगा सकते हैं।
  • इमारत का प्रवेश द्वार उसमें बने फ्लैट्स के प्रवेश द्वार से बड़ा होना चाहिए।
  • इमारत का दक्षिण पश्चिमी हिस्सा उत्तर पूर्व के हिस्से से ऊंचा और भारी होना चाहिए।
  • गार्डन ,पार्क और खेल का मैदान किसी भी बिल्डिंग के महत्वपूर्णअंग होते हैं। इनका सही दिशा में होना आवश्यक है।
  • गार्डन या खेलने का मैदान उत्तर या उत्तर पूर्व में होना चाहिए।
  • सीढ़ियों तथा लिफ्ट का निर्माण दक्षिण पश्चिम या फिर पश्चिम में हो सकता है।
  • छत के ऊपर पानी की टंकी, जिसे ओवरहेड टैंक भी कहते हैं पश्चिम या दक्षिण पश्चिम में हो।
  • बोरवेल तथा भूमिगत पानी की टंकी, जिसे सैम्प भी कहते हैं हमेशा उत्तरपूर्व में होनी चाहिए।
  • जेनेरेटर, ट्रान्सफॉर्मर तथा स्विच बोर्ड आदि को दक्षिण पूर्वी हिस्से में लगाना चाहिए। वह जगह खुली होनी चाहिए।
  • मंदिर या धार्मिक स्थल उत्तर पूर्व में होना शुभ होता है।
  • बिल्डिंग की छत पर जो निर्माण होता है, उसे पेंट हाउस कहते हैं। आजकल लोग पेंट हाउस लेना काफी पसंद करते हैं। पेंट हाउस दक्षिण या दक्षिण पश्चिम में होना चाहिए।

(न्यूसी समैया ने इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोलॉजी (भारतीय विद्या भवन) नई दिल्ली से ज्योतिष अलंकार की डिग्री ली है। ज्योतिष शास्त्र विशेषज्ञ, ज्योतिष शिरोमणि सम्मान से पुरस्कृत न्यूसी 25 वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रही हैं। वह स्कूल ऑफ एस्ट्रोलॉजी की डायरेक्टर भी हैं।) मोबाइल नंबर 7470664025

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