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UP की महिला जज ने मांगी इच्छामृत्यु, चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में बताई हैरान करने वाली वजह…

नई दिल्‍ली। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की एक महिला जज ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) से इच्छामृत्यु की मांग की है। इसके इस संबंध में महिला जज ने एक पत्र भेजा है, जिसमें उसने जिला जज द्वारा यौन उत्‍पीड़न करने का गंभीर आरोप भी लगाया है। सीजेआई को लिखे पत्र में आग्रह किया है कि उसे इच्‍छामृत्‍यु की अनुमति दे दी जाए। इसके बाद चीफ सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस मामले की रिपोर्ट मांगी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट से CJI ने मांगी रिपोर्ट

मीडिया रिपोर्ट्स मुताबिक, देर रात CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट सेकेट्री जनरल अतुलएम कुरहेकर को इलाहाबाद हाई कोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगने के लिए कहा है। सेक्रेटरी जनरल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर महिला जज द्वारा दी गई तमाम शिकायतों की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही शिकायत से निपटने वाली आंतरिक शिकायत समिति के समक्ष कार्यवाही की स्थिति के बारे में पूछा गया है।

सुनवाई नहीं होने से निराश महिला जज ने लिखा पत्र

सिविल महिला जज का आरोप है कि जब वह बाराबंकी जिले में 2022 में तैनात थी। तब वहां के जिला जज के द्वारा उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया गया। इतना ही नहीं जिला जज के द्वारा महिला जज को रात में मिलने को लेकर दबाव भी बनाया जाता था। इसको लेकर हाईकोर्ट इलाहाबाद में भी इन्होंने गुहार लगाई। लेकिन सुनवाई नहीं हुई, जज होने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला। कोई सुनवाई नहीं होने से निराश सिविल जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश को पत्र लिखकर इच्‍छा मृत्‍यु की मांग की है। उनका कहना है कि उनके साथ काफी अपमानजनक बर्ताव किया है, जिससे वो काफी आहत हैं, अब वो मरना चाहती हैं, जिसकी उन्हें इजाजत दी जाए।

जज को न्याय नहीं मिल रहा तो आम जनता का क्‍या होगा?

महिला जज ने पत्र में लिखा है कि एक जज होने के बावजूद जब मुझे न्याय नहीं मिल रहा है तो आम जनता का क्या होगा और सावल होना लाजिमी भी है। दूसरों को न्याय देने वाले जज को ही जब न्याय नहीं मिल रहा है तो फिर आम जनता का क्या होगा? महिला जज से ने बताया कि मेरे साथ जो कुछ हुआ है उसको लेकर मैं ओपन पत्र जारी किया है. इसमें मैंने सारी बातें लिखी है. इस पूरे मामले को लेकर मैं रिट भी दाखिल की थी, लेकिन उसे डिसमिस कर दिया गया।

ओपन पत्र में लिखी सभी बातें

महिला जज ने आगे बताया कि इस मामले को लेकर जब मैंने शिकायत की तो शिकायत स्वीकार करने में ही लगभग 6 महीने का समय मुझे लग गया। जबकि इस प्रक्रिया को 3 महीने में ही पूरा हो जाना चाहिए था। महिला जज ने बताया कि मेरी पोस्टिंग बांदा जिले में ही है। उन्होंने कहा कि एक जज होने के बाद भी मुझे न्याय के लिए गुहार लगानी पड़ रही है। अब मेरे सामने कोई रास्ता नहीं बचा, जिसके चलते मैंने ऐसा कदम उठाया है।

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