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Prayagraj Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ का आगाज, पौष पूर्णिमा पर पहला पवित्र स्नान; संगम तट पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा यानी महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। पौष पूर्णिमा पर आज पहला स्नान है। सुबह 9:30 बजे तक लगभग 60 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगा ली है। 12 किमी एरिया में बना स्नान घाट श्रद्धालुओं से भरा है। संगम में हर घंटे में 2 लाख लोग स्नान कर रहे हैं। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर होने वाले आस्था के इस महा आयोजन में आज से ही श्रद्धालु 45 दिन का कल्पवास शुरू करेंगे।

आज से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलने वाले महाकुंभ में इस बार 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु शामिल होने का अनुमान है। पहले दिन से ही तीर्थ राज प्रयाग में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटना शुरू हो गई है।

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विदेशी श्रद्धालु ने कहा- जय श्रीराम

भीषण ठंड के बावजूद विदेशी श्रद्धालु भी यहां स्नान कर रहे हैं। ब्राजील से आए एक भक्त, फ्रांसिस्को ने कहा कि वह योग का अभ्यास करते हैं और मोक्ष की तलाश में हैं। उन्होंने भारत को दुनिया का आध्यात्मिक हृदय बताया और जय श्रीराम कहा। एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी महाकुंभ में शामिल हो चुकी हैं। उन्होंने निरंजनी अखाड़े में पूजा-अर्चना की और अब वह कल्पवास करेंगी। महाकुंभ इस बार 144 साल के दुर्लभ खगोलीय संयोग में हो रहा है। इस अवसर पर गूगल ने भी एक खास फीचर शुरू किया है, जिसमें महाकुंभ सर्च करने पर पेज पर वर्चुअल फूलों की बारिश होती है।

महाकुंभ में इन तारीख को होगा शाही स्नान

महाकुंभ का पहला शाही स्नान 13 जनवरी (पूस पूर्णिमा )के दिन होगा।
14 जनवरी (मकर संक्रांति )के दिन शाही स्नान।
29 जनवरी (मोनी अमावस्या) के दिन शाहीस्नान।
03 फ़रवरी (बसंत पंचमी) के दिन शाही स्नान।
12 फरवरी (माघी पूर्णिमा) के दिन शाही स्नान।                                                                                            26 फरवरी (महाशिवरात्रि )के दिन शाही स्नान किया जाएगा।

महाकुंभ को लेकर क्या है मान्यता

मान्यता है कि, कुंभ मेले में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। समुद्र मंथन से जो अमृत निकला, उसे पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 साल तक युद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान अमृत की कुछ बूंदें जिन-जिन स्थानों पर गिरीं, वहां कुंभ मेला आयोजित होता है। चूंकि युद्ध 12 साल तक चला, इसलिए कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार होता है। महाकुंभ के स्नान को शाही स्नान के नाम से जाना जाता है।

144 साल बाद बन रहा ये दुर्लभ संयोग

प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इस बार 144 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। जिसका संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है, जिस दौरान देवताओं और राक्षसों ने अमृत के लिए संघर्ष किया था। इस दिन सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों की शुभ स्थिति बन रही है जो कि उस समय समुद्र मंथन के दौरान भी बनी थी। साथ ही, महाकुंभ पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। रवि योग कल सुबह 7 बजकर 15 मिनट से होगा और 10 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगा। इसी दिन भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है और इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।

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