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गंगा डॉल्फिन को रास आ रही चंबल नदी, कुनबा 111 हुआ

गहरे पानी में रहना पसंद करती हैं, इन्हें सांस लेने के लिए हर 10 मिनट में नदी के बाहर आना पड़ता है

आशीष शर्मा-ग्वालियर। गंगा डॉल्फिन (गेंगेटिक डॉल्फिन) को चंबल नदी रास आ रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डॉल्फिन के कुनबे की संख्या बढ़कर 111 हो (फरवरी 2024 में हुए सर्वे के अनुसार) गई है, जबकि 2020 में सिर्फ 68 डॉल्फिन थीं। हालांकि, डब्ल्यूआईआई द्वारा 3 साल पहले किए सर्वे में चंबल नदी में 200 डॉल्फिन पाई गई थीं। लेकिन वन विभाग और डब्ल्यूआईआई के सर्वे में अंतर इसलिए है कि वन विभाग ने नदी में ऊपरी तौर पर और डब्ल्यूआईआई ने नदी में अंदर जाकर सर्वे किया था। डॉल्फिन की तादाद बढ़ने पर विशेषज्ञ इसे पर्यावरण के लिए अच्छा संकेत बता रहे हैं।

बता दें कि डॉल्फिन को वर्ष 2009 में भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया है। चंबल नदी में डॉल्फिन ही नहीं मगर और घड़ियाल भी हैं और इनकी संख्या अच्छी खासी है।

अंधी होती हैं, लेकिन सूंघने की शक्ति जबरदस्त

डॉल्फिन अंधी होती हैं, लेकिन इनमें सूंघने की शक्ति जबर्दस्त होती है। डॉल्फिन के मस्तिष्क में स्पिंडल न्यूरॉन्स नामक विशेष मस्तिष्क कोशिकाएं होती हैं।

अंडे के बजाय बच्चों को देती हैं जन्म

डॉल्फिन स्तनधारी जलीय जीव है, इसलिए अंडे के बजाय बच्चों को जन्म देती है। यह गलफड़ों (गिल्स) के बजाय फेफड़ों से सांस लेती है। इनके शरीर पर बाल भी होते हैं। व्हेल की तरह डॉल्फिन को भी सांस लेने के लिए सतह पर आना होता है। गंगा डॉल्फिन साफ पानी में ही रह सकती है। इस मछली का नदी में होना उसके पानी की शुद्धता का मानक है।

  • नदी में रहने वाली डॉल्फिन समुद्री डॉल्फिन से कम एक्टिव होती हैं।
  • नदी की डॉल्फिन आकार में छोटी होती हैं।
  • समुद्री डॉल्फिन ज्यादा प्लेफुल होती हैं।

नदी में कौन से कितने जीव

111 डॉल्फिन – 2456 घड़ियाल – 928 मगरमच्छ – 843 इंडियन स्मीकर

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