ग्वालियरमध्य प्रदेश

14 साल में नेट-पीएचडी नहीं करने वाले वैज्ञानिक की सेवाएं समाप्त, ग्वालियर कृषि विवि का पहला मामला

संजीव वर्मा की नियुक्ति वर्ष 2007 में मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन पद पर हुई थी

पीपुल्स संवाददाता, ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में एक अनोखा मामले सामने आया है। विवि ने वैज्ञानिक संजीव वर्मा को नियम के तहत नेट-पीएचडी करने के लिए एक, दो नहीं बल्कि पूरे 14 साल की मोहलत दी, लेकिन इसके बाद भी वैज्ञानिक ने नेट-पीएचडी नहीं की। इसे लेकर विवि ने आखिरकार वैज्ञानिक की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। वैज्ञानिक ने वर्ष 2007 में ज्वॉइन किया था, इसलिए अभी इनकी 21 साल की नौकरी बाकी थी।

संजीव वर्मा की नियुक्ति 22 जनवरी 2007 को वस्तु विशेषज्ञ (मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन) के पद पर की गई थी। इन्हें तीन साल के अंदर यानि वर्ष 2010 तक नेट-पीएचडी करना थी, लेकिन यह ऐसा नहीं कर सके। तय समय में नेट-पीएचडी नहीं करने पर विवि ने इन्हें 13 दिसंबर 13 को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस पर वैज्ञानिक ने विवि से नेट-पीएचडी करने के लिए एक साल की मोहलत मांगी। यह प्रकरण 28 फरवरी 14 को हुई प्रमंडल की 15वीं बैठक में रखा गया। प्रमंडल ने वैज्ञानिक को नेट-पीएचडी करने के लिए 31 दिसंबर 14 और इसके बाद 31 दिसंबर 15 तक का समय दिया गया। मगर वैज्ञानिक नेट-पीएचडी करने के दस्तावेज विवि में जमा नहीं किए।

वर्ष 20 तक नेट-पीएचडी करने के लिए शपथ-पत्र दिया

वैज्ञानिक संजीव शर्मा द्वारा कई मौके दिए जाने के बाद भी नेट-पीएचडी नहीं करने का मामला 28 दिसंबर 17 को हुई प्रमंडल की 29वीं बैठक में रखा गया था। प्रमंडल ने वैज्ञानिक ने 28 दिसंबर 20 तक नेट-पीएचडी करने के लिए शपथ-पत्र लिया, लेकिन वैज्ञानिक शैक्षणिक योग्यता बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया। प्रमंडल की 40वीं बैठक में एक बार से यह प्रकरण रखा गया और इस बार प्रमंडल ने वैज्ञानिक को सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया।

कृषि विज्ञान केंद्र खरगोन में वैज्ञानिक संजीव वर्मा 14 साल में नेट-पीएचडी नहीं कर पाए, इसलिए प्रमंडल की 40वीं बैठक में इनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया गया था। इस संबंध में वैज्ञानिक को लेटर जारी कर दिया गया है।
डीएल कोरी, कुलसचिव, कृषि विवि

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