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इलेक्टोरल बॉन्ड पर SBI को सुप्रीम कोर्ट की एक और फटकार, बोले- हर जानकारी दें वरना… SBI बोला- हमें बदनाम किया जा रहा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर सुनवाई हुई। अदालत की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक नंबर का खुलासा करने को लेकर सुनवाई करते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को फटकार लगाई और कहा कि एसबीआई को हर जरूरी जानकारी देनी होगी। इस पर एसबीआई ने कहा कि उसे बदनाम किया जा रहा है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में 16 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुनवाई हुई थी, तो अदालत ने यूनिक नंबर का खुलासा नहीं करने को लेकर एसबीआई से सवाल किए थे। ऐसा इसलिए क्योंकि यूनिक नंबर के जरिए ये पता चल सकता है कि किस राजनीतिक दल को चंदा दिया गया और चंदा देने वाला शख्स/कंपनी कौन सी थी। इसी से संबंधित SBI से 18 मार्च तक बॉन्ड नंबर की जानकारी नहीं दिए जाने पर जवाब मांगा था।

कोर्ट ने SBI को लगाई फटकार

CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने SBI को कड़ी फटकार लगाई। CJI ने SBI के वकील हरीश साल्वे से कहा, हमने कहा था कि सारी डिटेल्स दीजिए। इसमें बॉन्ड नंबर्स की भी जानकारी मांगी गई थी। इन जानकारियों का खुलासा करने में SBI सिलेक्टिव ना रहे और हमारे आदेशों का इंतजार ना करें।

जानकारी न छिपाने का दाखिल करें एफिडेविट

CJI ने आगे कहा, SBI चाहती है कि हम उसे बताएं कि किन जानकारियों का खुलासा करना है और वो जानकारी दे देंगे। SBI का ये रवैया उचित नहीं है। कोर्ट ने SBI के चेयरमैन से कहा, आप 21 मार्च शाम 5 बजे तक एक एफिडेविट भी दाखिल करें कि आपने कोई भी जानकारी कोर्ट से नहीं छिपाई है।

7 दिन बाद भी SBI ने नहीं दी पूरी जानकारी

बता दें कि बेंच ने 11 मार्च के फैसले में SBI को बॉन्ड की पूरी डिटेल, खरीदी की तारीख, खरीदार का नाम, कैटेगरी की जानकारी देने का निर्देश दिया था। हालांकि, SBI ने सिर्फ बॉन्ड खरीदने वालों और कैश कराने वालों की जानकारी दी थी। डेटा में इस बात का खुलासा नहीं किया गया था कि किस डोनर ने किस राजनीतिक पार्टी को कितना चंदा दिया गया था। यूनिक अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स से इसका पता चल जाएगा। इसलिए कोर्ट इनकी बात कर रहा है।

बीजेपी ने 6,986.5 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड कैश कराए

नए डेटा के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने कुल 6,986.5 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड कैश करवाए। पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2,555 करोड़ रुपए मिले। कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कुल 1,334.35 करोड़ कैश करवाए।
डीएमके को फ्यूचर गेमिंग से मिले 509 करोड़

डीएमके को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपए मिले, जिसमें लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग से 509 करोड़ भी शामिल हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से भाजपा के बाद सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी तृणमूल कांग्रेस को 1,397 करोड़ रुपए मिले।

किस पार्टी को कितना चंदा

• समाजवादी पार्टी (सपा) को चुनावी बांड के जरिए 14.05 करोड़
• अकाली दल को 7.26 करोड़,
• ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) को 6.05 करोड़,
• नेशनल कॉन्फ्रेंस को 50 लाख रुपए मिले।
• बीजेडी को 944.5 करोड़ रुपए,
• वाईएसआर कांग्रेस को 442.8 करोड़ रुपए,
• टीडीपी को 181.35 करोड़ रुपए का दान इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिला।

SBI की 29 ब्रांच में जारी किए जाते हैं ‘चुनावी बॉन्ड’

चुनावी बॉन्ड जमा करने को लेकर देशभर में SBI की अधिकृत कुल 29 ब्रांच हैं। जहां पर कोई भी चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है और राजनीतिक दलों को फंड दे सकता है। हालांकि, कोर्ट ने अब इस स्कीम पर ब्रेक लगा दिया है। इससे राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। क्योंकि, आम चुनाव करीब हैं और पार्टियों को चुनावी चंदे की सबसे ज्यादा जरूरत होगी।

इलेक्टोरल बॉन्ड क्या है ?

2017 में केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को वित्त विधेयक के रूप में सदन में पेश किया था। संसद से पास होने के बाद 29 जनवरी 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की अधिसूचना जारी की गई थी। चुनावी बॉन्ड ब्याज मुक्त धारक बॉन्ड या मनी इंस्ट्रूमेंट था, जिसे भारत में कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अधिकृत शाखाओं से खरीदा जा सकता था। ये बॉन्ड 1,000 रुपए, 10,000 रुपए, 1 लाख रुपए, 10 लाख और 1 करोड़ रुपए की संख्या में बेचे जाते थे। किसी राजनीतिक दल को दान देने के लिए उन्हें केवाईसी-अनुपालक खाते के माध्यम से खरीदा जा सकता था। राजनीतिक दलों को इन्हें एक निर्धारित समय के भीतर भुनाना होता था। दानकर्ता का नाम और अन्य जानकारी दस्तावेज पर दर्ज नहीं की जाती है और इस प्रकार चुनावी बॉन्ड को गुमनाम कहा जाता है। किसी व्यक्ति या कंपनी की तरफ से खरीदे जाने वाले चुनावी बॉन्ड की संख्या पर कोई सीमा नहीं थी।

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