ग्वालियरमध्य प्रदेश

Morena news : गर्भवती को भ्रूण के लिंग की जांच के लिए भेजा, दलाल जैसे ही सेंटर से वापस लाया, पुलिस ने दबोच लिया

मुरैना। जिले में अवैध रूप से चल रहे एक गर्भपात सेंटर पर हरियाणा और मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रविवार को छापा मारा। इस दौरान टीम ने दो लोगों को गिरफ्तार कर सोनोग्राफी मशीन और अन्य उपकरण जब्त किए।

अधिकारियों ने बताया कि फरीदाबाद की पीसीपीएनडीटी (PCPNDT) टीम को सूचना मिली थी कि मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में धीरज प्रजापति सोनोग्राफी मशीन से गर्भवती महिलाओं के भ्रूण का लिंग परीक्षण कर रहा है। इसके लिए उसने दलालों का नेटवर्क बिछा रखा है। वह एक जांच के लिए 40 हजार रुपए तक वसूलता है।

किराये के कमरे में चल रहा था केंद्र

यह अवैध लिंग परीक्षण केंद्र मुरैना जिले के बानमोर कस्बे के जैतपुर गांव में चल रहा था। यहां धीरज प्रजापति ने लाखन सिंह गुर्जर के मकान में एक कमरा किराये पर लिया था। टीम को जानकारी मिली थी कि धीरज इसी कमरे में 10 से अधिक महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे का परीक्षण करने वाला था।

गर्भवती महिला को बनाया प्लानिंग का हिस्सा

इस जानकारी के बाद फरीदाबाद से आई टीम ने पूरी प्लानिंग की और एक गर्भवती महिला विशाखा को योजना में शामिल किया। विशाखा के जरिये टीम ने धीरज के दलाल नरेंद्र सिंह से संपर्क किया और लिंग परीक्षण के लिए उससे मोबाइल फोन पर संपर्क किया। नरेंद्र ने बातचीत के बाद लिंग परीक्षण के लिए उसे मुरैना बुलाया।

जांच के बाद छोड़ने आया था दलाल

नरेंद्र ने विशाखा को जो पता बताया, वह उस पर पहुंची। यहां से नरेंद्र उसे मोटरसाइकल पर बिठाकर लिंग परीक्षण केंद्र पर ले गया। यहां विशाखा के गर्भ में पल रहे भ्रूण का परीक्षण किया गया और उसे दोबारा उसी बस स्टैंड ले जाया गया, जहां से दलाल उसे ले गया था। चूंकि, सब कुछ प्लानिंग में शामिल था, इसलिए विशाखा की निगरानी के लिए पहले से बस स्टैंड पर फरीदाबाद और मुरैना की टीमें मौजूद थीं। यहां पुलिस की मदद से पहले दलाल नरेंद्र और सचिन को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि आगे की कार्रवाई के तहत धीरज प्रजापति को गिरफ्तार किया जाएगा।

अपराध है भ्रूण के लिंग की जांच

गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग की जांच करना या करवाना अपराध है। शिशु को जीवित पैदा होने से रोकना भ्रूण हत्या कहलाता है। सोनोग्राफी के जरिय भ्रूण के स्वास्थ्य की जांच की जाती है, लेकिन कई लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। यह गर्भधारण पूर्व और प्रसूति-पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 के तहत अपराध है।

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