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त्रिवेणी संग्रहालय में लगेंगी हनुमान चालीसा पर तैयार की गईं पेंटिंग्स

मप्र जनजातीय संग्रहालय द्वारा वैसे तो जनजातीय चित्र तैयार कराए जा रहे हैं, लेकिन पहली बार संग्रहालय द्वारा हनुमान चालीसा की चौपाइयों को भी चित्रित कराया गया है। यह पहला अवसर है कि हनुमान चालीसा की चौपाइयों पर हर एक चौपाई के भावार्थ को समझाते हुए उस पर चित्र तैयार कराए गए हैं। अभी तक देश में हनुमान चालीसा की चौपाइयों पर चित्र नहीं बने थे, सिर्फ हनुमान चालीसा को सुनने के साथ अब लोग इसे देख भी सकेंगे। ये सभी चित्र उज्जैन स्थित त्रिवेणी कला संग्रहालय में प्रदर्शित किए जाएंगे। इन 40 चित्रों को बनाने में 6 महीने का समय लगा है। इसमें एक चौपाई की कल्पना करने के बाद एक चित्र में एक हμते का समय लगा था। बनारस के वरिष्ठ चित्रकार सुनील विश्वकर्मा ने यह चित्र बनाए हैं।

एक्रेलिक कलर से बनाए चित्र : सुनील विश्वकर्मा ने बताया कि उन्होंने एक्रेलिक कलर से यह सभी चित्र बनाए हैं। उनके द्वारा बनाए गए सभी 42 चित्रों को, जिसमें 40 चौपाई और 2 दोहे के चित्र है। इनको बनाने में कुल 6 महीने का समय लगा। एक चित्र के ऊपर विचार करना, विद्वानों से बात करना, उनके प्रवचन सुनने के बाद आर्टिस्ट के नजरिए से कैनवास पर यह चित्र बनाए गए।

दोहे से की चित्र बनाने की शुरुआत

श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि, बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि …, चित्रकार सुनील विश्वकर्मा ने बताया कि उन्होंने चित्रों को बनाने की शुरुआत हनुमान चालीसा के पहले दोहे से की। सुनील का कहना है कि चित्रों को बनाने से पहले बहुत विचार किया, विद्वानों के साथ बैठे, उनको सुना उसके बाद एक चौपाई के भावार्थ को समझते हुए उस पर चित्र बनाए। पहला चित्र बनाने के बाद प्रेरणा मिली। उसमें मैंने यह दिखाने का प्रयास किया कि जो भी तुलसीदास जी ने लिखा है उसका श्रेय उन्होंने ने नहीं लिया, उन्होंने कहा कि ये तो सब हनुमान जी ने करवाया है। हनुमान जी तुलसीदास जी के सामने बैठे हैं और उनके हृदय को निहार रहे हैं जिसमें राम, भरत, लक्ष्मण और जानकी के चित्र को बनाया। इसके बाद सभी चौपाइयों के चित्र बनाए।

भोपाल में प्रदर्शित किए गए थे चित्र

इन चित्रों की प्रदर्शनी सबसे पहले भोपाल में लगाई थी। लोकरंग में इन चित्रों को प्रदर्शित किया गया था। यह चित्र उज्जैन स्थित त्रिवेणी संग्रहालय में प्रदर्शित करने के लिए बनवाए गए हैं। वहीं पर इनकी प्रदर्शनी समय-समय पर लगाई जाएगी। इन चित्रों को चित्रकूट स्थित संग्रहालय तुलसी शोध संस्थान में प्रदर्शित किया जाना है। – अशोक मिश्रा, क्यूरेटर, जनजातीय संग्रहालय

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