
मनीष दीक्षित, भोपाल। भाजपा की पिछली 16 साल की सरकार में 14 साल मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले वो सब करना चाहते हैं जिससे जनता का जीवन आसान हो। पिछले दो वर्षों के कार्यकाल का अधिकांश समय कोरोना संक्रमण से संघर्ष और बेपटरी अर्थव्यवस्था को पुन: खड़ा करने में ही बीत गया। चुनावी मोड में आ चुकी पार्टी का फोकस योजनाओं के सफल क्रियान्वयन पर है, जिससे भाजपा को 2023 में फिर बहुमत मिल सके। बुधवार को शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री के रूप में चौथे कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस खास मौके पर उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर बात की। पेश है बातचीत के खास अंश…
पौधे लगाने व गरीबों के बीच रहने के अलावा सबसे ज्यादा खुशी कब और किस सेवा में मिलती है?
मुझे खुशी मिलती है बीमारों के इलाज से। बीमारी में गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार पैसों का इंतजाम करते-करते टूट जाता है। हाल ही में मुझे खबर मिली की एक परिवार के दो बच्चों की लिवर की बीमारी से मृत्यु हो गई। तीसरा भी अस्पताल में था। बच्चों के परिवार को लिवर ट्रांसप्लांट के लिए 25 लाख रुपए चाहिए थे, मैंने तत्काल व्यवस्था करवाई और उस बच्चे का प्रत्यर्पण हो गया। पीड़ित मानवता की सेवा करना मुझे बहुत सुकून देता है।
सरकार के शेष कार्यकाल में आपका क्या फोकस होगा ?
आत्मनिर्भर मप्र हमारा लक्ष्य है, उसके जितने बिंदु हैं- इंफ्रा, शिक्षा, हेल्थ, रोजगार, अर्थव्यवस्था। हमने जो रोडमैप बनाया है उसमे नर्मदा एक्सप्रेस-वे जैसे प्रोजेक्ट लाएंगे। इसके दोनों तरफ इंडस्ट्रियल क्लस्टर से अर्थव्यवस्था में गति आएगी। रोजगार का सृजन और औद्योगिक विकास होगा। सीएम राइज स्कूलों के माध्यम से अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करेंगे, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे अच्छी शिक्षा के लिए निजी स्कूलों पर निर्भर न हों। सरकारी स्कूलों में आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स का कोर्स भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है। तकनीक का उपयोग कर सेवाओं का ठीक लाभ पहुंचाएंगे। उदाहरण के लिए पहले हम साइकिल देते थे, जिसमें समय काफी जाया होता था, फिर हमने पैसा देना शुरू किया। मगर इस पैसे के दुरुपयोग या अन्य उपयोग की जानकारी आने लगी और बच्चों को साइकिल नहीं मिल सकी। अब नई व्यवस्था में हम ई-वाउचर देंगे, जिसका उपयोग साइकिल खरीदी में ही हो सकेगा ।
कांग्रेस को चैलेंज मानते हैं?
यह दुर्भाग्यपूर्ण है की देश की सबसे पुरानी पार्टी में अलग-अलग सुर निकल रहे हैं। देश उनसे निराश हो गया। उनका नेतृत्व आभाविहीन है। जी -23 अलग समूह बन गया। मप्र में भी कई गुट बने हुए हैं।
ये भी पढ़ें- भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा; इनको सौंपी गई जिलों की कमान, दखें लिस्ट
पचमढ़ी चिंतन मंथन से कौन सा अमृत निकालने की तैयारी है ?
हम जनता से सुझाव मांग रहे हैं, दूसरा हमारे अपने अनुभव हैं योजनाओ के बारे में। कई योजनाओं का विश्लेषण करेंगे, उनके स्वरूप के बारे में, उनमें क्या कठिनाइयां आ रही हैं और क्या सुधार किए जाएं, जिससे जनता को योजनाओं का लाभ बिना किसी अड़चनों के मिल सके।
मामा के बुलडोजर की बड़ी चर्चा है, क्या यह सभी अपराधियों पर चलेगा?
देखिए, पहले ही मैंने डकैतों के आतंक से मप्र को मुक्त कर दिया। ग्वालियर, चंबल, छतरपुर और रीवा बॉर्डर पर डकैत थे। 2005 के बाद इनके उन्मूलन का प्रयास किया और आजादी के बाद पहली बार मप्र में डकैतों का सफाया हुआ। नक्सलवाद भी बालाघाट के कोने में सिमट गया है, सिमी के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की। अपराधियों में खौफ पैदा होना बहुत जरूरी है। किसी ने रेप किया, जेल चला गया, फिर छूटकर आ गया। मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि मुख्यमंत्री के नाते मुझे जनता के साथ खड़े रहना है। कोई बहन-बेटी के साथ दुराचार करे तो हम उसको ऐसा तबाह करेंगे कि करने वाला दस बार सोचेगा कि केवल जेल नहीं जाना, कुछ और भी चीजें हैं।
अपराध रोकने के बारे में क्या किया जाएगा?
जो भी नियम कानून के साथ खिलवाड़ करेगा, बहन- बेटियों या कमजोरों से बदसलूकी करेगा उसे ऐसा सबक सिखाएंगे कि कांप उठेगा। श्योपुर हो, सिवनी या शहडोल, हमने बिना भेदभाव कार्रवाई की। सिलवानी में अपराधियों के पास हथियार मिले, अवैध लकड़ी मिली- ऐसे लोग तबाह कर दिए जाएंगे। यह सिलसिला जारी रहेगा।
बच्चे जब मामा कहकर बुलाते हैं तब मन आनंद से भर जाता है
गरीब के साथ जब अन्याय होता है तो दु:ख के साथ क्रोध भी पैदा होता है। धरती पर सबको जीने का अधिकार है, उसके संसाधन सबके लिए हैं। जब उनके साथ अन्याय होता है तो बहुत गुस्सा आता है। आप जानते हैं मेरी कमजोरी या वात्सल्य कह लीजिये बेटियों पर बहुत ज्यादा है। जब में छोटी बेटियों और भांजो के बीच होता हूँ और वे जोर-जोर से चिल्लाते हैं मामा, तब सबसे ज्यादा खुशी होती है और मन आनंद से भर जाता है।
ये भी पढ़ें : UP के बाद अब MP में ‘बुलडोजर मामा’: रामेश्वर शर्मा ने लगवाया होर्डिंग, लिखा- मामा का बुलडोजर बनेगा हथौड़ा
मंत्रिमंडल के कई सदस्य आपके साथ कदमताल नहीं कर पाते, क्या उन्हें बदला जाएगा?
हम अपने मित्रों की क्षमताओं का पूरा उपयोग करते हैं। हर व्यक्ति समान नहीं होता। प्लस और माइनस मेरे भी हैं, बाकी लोगों में भी। हमारी कोशिश है की सबके प्लस का उपयोग करें। बाकी सलाह मशविरा करके कैसे टीम ठीक करें उस पर सामूहिक रूप से काम करने का प्रयास करते है। मैं अपने मंत्रिमंडल के साथियों के सकारात्मक पक्ष का भरपूर उपयोग करता हूं। मंत्रिमंडल के समूह बना दिए, वे अपनी रिपोर्ट देंगे। पार्टी इस पर चिंतन करती रहती है।
यह भी बोले सीएम
दबंगई पर सख्ती
प्रदेश के कई गांवों में कश्मीर की तरह विस्थापन चल रहा है?
वो मैं नहीं होने दूंगा । मप्र में कानूनों का पालन करना पड़ेगा, दबंगई नहीं चलेगी और ऐसा करने वाले क्रश कर दिए जाएंगे।
राहत पर विचार
मप्र पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा वैट वाले राज्यों में से एक है, क्या कुछ राहत मिलेगी?
हमने पहले भी ऐसा किया है। यूक्रेन-रूस के युद्ध के कारण नई परिस्थितियां पैदा हो गई हैं इसलिए भी महंगाई बढ़ रही है । फिर भी समग्र रूप से इस पर विचार करेंगे।
मेरी पार्टी सर्वोपरि
पांचवीं बार सीएम बनने का रास्ता सीधा है या परिस्थितियां बदली हुई हैं ?
हम अपने बारे में नहीं सोचते। पार्टी हमारी भूमिका तय करती है।