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MP ELECTION 2023: थम गया प्रचार का शोर, अंतिम दिन झोंकी पूरी ताकत, अब घर-घर संपर्क के जरिए मांग रहे वोट

भोपाल। मध्यप्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी शोरगुल का दौर शाम 6 बजे थम गया। प्रचार के अंतिम दिन सभी सियासी दलों और प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत लगाई। 17 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले कमरा बैठकों और डोर-टू-डोर जनसंपर्क का दौर शुरू हो गया है। एमपी की 230 विधानसभा सीटों पर इस बार भी मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है, हालांकि कुछ सीटों पर निर्दलीय लड़ रहे बागी और बसपा, सपा, आप, गोंगपा के प्रत्याशी चुनावी हार-जीत के समीकरण बिगाड़ सकते हैं। इधर, चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक प्रदेश भर में मतदान की अंतिम दौर की तैयारी शुरू हो गई है।

अंतिम दिन BJP के लिए इन्होंने झोंकी ताकत

एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, स्मृति ईरानी, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, उत्तराखंड के सतपाल महाराज

अंतिम दिन कांग्रेस के ये दिग्गज उतरे मैदान में

5 करोड़ 60 लाख से ज्यादा वोटर चुनेंगे नई सरकार

एमपी में 230 सीटों पर चुनाव के लिए 64523 मतदान केंद्र और 103 सहायक मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इनमें से 17 हजार संवेदनशील मतदान केंद्र हैं, जहां सुरक्षा के नजरिए से सेंट्रल फोर्स की तैनाती होगी। प्रदेश के सभी 55 जिलों में मतदाताओं की कुल संख्या 5 करोड़ 60 लाख 58 हजार 521 है, जिनमें 2 करोड़ 87 लाख 82 हजार 261 पुरूष और 2 करोड़ 71 लाख 99 हजार 586 महिलाएं हैं। इसके अलावा थर्ड जेंडर के 1292 वोटर हैं। एमपी में कुल 75 हजार 382 सर्विस वोटर भी हैं, जो डाक मतपत्रों के जरिए पहले ही वोट डाल चुके हैं। आंकड़ों की बात करें तो एमपी में 2018 के मुकाबले 5 साल में 25 लाख 85 हजार 856 मतदाता बढ़ गए हैं।

उप चुनाव भी देखे प्रदेश ने

2018 में चुनावी नतीजों के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने 17 दिसंबर को सीएम कमलनाथ के नेतृत्व में शपथ थी। हालांकि मार्च 2020 में हालात बदल गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ पार्टी छोड़कर बीजेपी में शमिल हो गए। इसके बाद एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान सीएम बने और उन्होंने 23 मार्च 2020 को शपथ ली। 10 नवंबर 2020 को 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में 19 सीटों पर भाजपा और  9 स्थानों पर कांग्रेस जीती। इन नतीजों के बाद प्रदेश में बहुमत के हिसाब से बीजेपी की सरकार स्थिर हो गई।

नक्सल प्रभावित केंद्रों पर 8, शेष जगह 11 घंटे वोटिंग

प्रदेश के बालाघाट, मंडला और डिंडोरी जिलों की कुछ विधानसभा सीटों पर सुबह 7 से दोपहर 3 बजे तक मतदान होगा। बालाघाट जिले के बैहर, लांजी और परसवाड़ा के सभी पोलिंग बूथ पर और मंडला जिले के बिछिया और मंडला के 8 मतदान केंद्रों के साथ डिंडोरी के 40 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 से दोपहर 3 बजे तक केवल 8 घंटे वोटिंग होगी। प्रदेश के शेष मतदान केंद्रों पर वोटिंग का समय सुबह 7 से शाम 6 बजे तक तय हुआ है।

नियम के अनुसार शाम 6 बजे तक जो भी मतदाता पोलिंग सेंटर पर मतदान की कतार में लगे होंगे, वे वोटिंग कर सकेंगे। इसके साथ ही इस बार साठ फीसदी से अधिक यानी 35 हजार से ज्यादा मतदान केंद्रों पर वेब कास्टिंग की सुविधा दी गई है। यहां होने वाली हर गतिविधि पर दिल्ली और भोपाल से सीधी नजर रखी जा सकेगी। इधर, प्रदेश के ग्रामीण और दूरदराज के अंचलों में मतदान दलों को सामग्री के साथ रवाना करने का काम शुरू हो गया है, जबकि शहरी क्षेत्रों के मतदान दलों को मतदान के एक दिन पहले रवाना किया जाएगा।

करोड़ों की नकदी और सामान जब्त

9 अक्टूबर को प्रदेश में आचार संहिता लागू होते ही चुनाव आयोग के निर्देश पर सख्ती से चैकिंग शुरू हो गई। आयोग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक   प्रदेश भर में हुई जांच के दौरान 333 करोड़ से अधिक की नकदी, शराब, मादक पदार्थ, जेवर, सोना-चांदी और अन्य सामान जब्त किया गया है। पिछले चुनाव में आचार संहिता के दौरान केवल 72 करोड़ 93 लाख रुपये की शराब, नकदी सहित अन्य सामग्रियां जब्त हुईं थीं।

वोटिंग बढ़ाने के लिए कई नवाचार

इस बार वोटिंग बढ़ाने के लिए आयोग के निर्देश पर कई नवाचार किए गए हैं। चालीस फीसदी से अधिक विकलांग और 80 साल से अधिक आयु के वोटर्स को घर से ही मतदान की सुविधा प्रदान की गई थी। इसके अलावा जगह-जगह क्विज, रैली, मैराथन और अन्य प्रतियोगी कार्यक्रमों के जरिए वोटिंग का प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश की गई है। इस बार कई शहरों में व्यापारिक संगठनों ने आयोग की अपील पर वोटिंग करने वाले मतदाताओं को खरीदी पर डिस्काउंट और कूपन दिए जाने की तैयारी की गई है। बात अगर 28 नवंबर 2018 को एमपी में हुए पिछले विधानसभा चुनावों के मतदान की करें तो 75.05% मतदाताओं ने वोट डाले थे। रिजल्ट के बाद कांग्रेस ने 114 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी को 109 सीटों पर विजय मिली थी। बसपा को 2, सपा को 1 और 4 निर्दलीयों ने भी जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में बसपा , सपा और निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेकर कांग्रेस ने सरकार बनाई थी।

ये है भोपाल की कहानी

  • भोपाल की 7 सीटों के लिए 2 हजार 34 मतदान केंद्र • इनमें से 1,100 पोलिंग बूथ अति संवेदनशील श्रेणी में
  • इन बूथों की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से कराई जाएगी, कंट्रोल रूम से रखेंगे नजर
  • भोपाल के 111 बूथों की कमान सिर्फ महिलाओं के हाथ
  • 120 पोलिंग बूथों को मॉडल बनाया, यहां विशेष सजावट होगी
  • भोपाल के 510 संवेदनशील केंद्रों पर माइक्रो ऑब्जर्वर तैनात
  • भोपाल जिले में बैरसिया, भोपाल उत्तर, नरेला, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा और हुजूर विधानसभा सीट
  • सबसे ज्यादा 369 मतदान केन्द्र भोपाल की गोविंदपुरा सीट पर, बैरसिया में 270, भोपाल उत्तर में 246, नरेला में 330, भोपाल दक्षिण पश्चिम में 233, भोपाल मध्य में 243 और हुजूर में 343 मतदान केंद्र बनाए गए

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