
नई दिल्ली। JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का गुरुवार रात दिल्ली में निधन हो गया। उन्होंने 75 साल की उम्र में गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी बेटी शुभाषिनी यादव ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। शुभाषिनी ने ट्वीट में लिखा, ‘पापा नहीं रहे’। दिल्ली के छतरपुर में उनके आवास पर पर्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। 14 जनवरी को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में उनके पैतृक गांव बंदाई में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
MP के पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार: शरद यादव के दामाद
शरद यादव के दामाद राजकमल राव ने बताया कि, उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया था। जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उन्हें किडनी की समस्या थी और वे डायलिसिस पर थे। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद स्थित उनके पैतृक गांव में उनके पैतृक गांव बाबई तहसील के आंखमऊ गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मैं उनके साथ बातचीत को संजोकर रखूंगा: पीएम
पीएम मोदी ने कहा कि, शरद यादव जी के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्होंने ट्वीट कर कहा- अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे। मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजो कर रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं। शांति।
राहुल गांधी ने दी श्रद्धांजलि
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शरद यादव के घर पहुंच उन्हें श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि, मैंने शरद यादव से राजनीति के बारे में बहुत कुछ सीखा है, वह आज हमारे बीच नहीं रहे तो काफी दु:ख हो रहा है। उन्होंने कभी अपना सम्मान नहीं खोया, जबकि राजनीति में सम्मान खोना बहुत आसान होता है।
लालू ने लिखा- बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं
लालू यादव ने शोक व्यक्त करते हुए लिखा, अभी सिंगापुर में हूं और शरद भाई के जाने का दुखद समाचार मिला।
बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं। आने से पहले मुलाकात हुई थी और कितना कुछ हमने सोचा था समाजवादी व सामाजिक न्याय की धारा के संदर्भ में। शरद भाई… ऐसे अलविदा नहीं कहना था। भावपूर्ण श्रद्धांजलि!
शरद जी से मेरा बहुत गहरा संबंध था: नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शरद यादव के निधन पर दुख जताया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव जी का निधन दुःखद है। शरद यादव जी से मेरा बहुत गहरा संबंध था। मैं उनके निधन की खबर से स्तब्ध एवं मर्माहत हूं। वे एक प्रखर समाजवादी नेता थे। उनके निधन से सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।
केजरीवाल ने शरद यादव के निधन पर जताया दुख
शरद यादव के निधन पर अरविंद केजरीवाल ने भी दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि JDU के पूर्व अध्यक्ष श्री शरद यादव जी के निधन का दुखद समाचार मिला। उन्होंने हमेशा वंचित वर्गों के उत्थान के लिए काम किया, अपने मजबूत राजनीतिक उसूलों पर क़ायम रहने वाले राजनेता के रूप में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। ॐ शांति।
प्रमुख समाजवादी नेता थे शरद यादव
शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव के एक किसान परिवार में हुआ था। शरद यादव एक प्रमुख समाजवादी नेता थे। वे 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल कर चर्चा में आए थे। वह लोकदल और जनता पार्टी से टूटकर बनी पार्टियों में रहे।
केंद्र की वीपी सिंह और वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे
• शरद यादव 1989 में वीपी सिंह नीत सरकार में मंत्री थे।
• शरद यादव 1989-90 में टेक्सटाइल और फूड मंत्री रहे।
• शरद यादव ने 1999 और 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विभिन्न विभागों में मंत्री रहे थे।
• 13 अक्टूबर 1999 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया।
• 2001 में वे केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बने।
• 2003 में शरद यादव जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष बने थे।
• एक जुलाई 2002 से 15 मई 2004 तक केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री भी बनाए गए।
• साल 2018 में जदयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) बनाया था।
• साल 2022 में अपनी पार्टी का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर लिया था।
1974 में जबलपुर से पहली बार बने थे सांसद
उनका राजनीतिक करियर छात्र राजनीति से शुरू हो गया था। सक्रिय राजनीति में उन्होंने साल 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। यह सीट हिंदी सेवी सेठ गोविंददास के निधन से खाली हुई थी। शरद इस सीट को जीतने में कामयाब रहे और पहली बार संसद भवन पहुंचे। इसके बाद साल 1977 में भी वे इसी सीट से सांसद चुने गए।
• 1978 में उन्हें युवा जनता दल का अध्यक्ष भी बनाया गया। 1981 में शरद यादव की सियासत मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश आ गई।
• साल 1986 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए।
• शरद यादव ने एमपी, यूपी के बाद संसदीय राजनीति का सफर बिहार से शुरू किया।
• बिहार के मधेपुरा सीट पर वे 1991, 1996, 1999 और 2009 में चुनाव जीते। इस सीट से उन्हें 4 बार हार का मुंह भी देखना पड़ा।
• शरद यादव 1995 में जनता दल के कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए थे।