
धर्मेन्द्र त्रिवेदी-ग्वालियर। एनएफएचएस-4 और 5 के अनुसार प्रदेश के छह जिलों में बेटियों की संख्या बेहद कम हुई है। इसमें दतिया, ग्वालियर, दमोह, सीधी, रायसेन और सतना में यह संख्या प्रति एक हजार बालकों पर घटकर आठ सौ से भी कम हो गई है। जबकि 16 जिले ऐसे हैं, जहां बेटियों की संख्या एक हजार से अधिक है। जन्म के समय शिशु लिंगानुपात में आ रही कमी को लेकर प्रतिष्ठित संस्था गर्ल्स काउंट ने प्रदेश के जिलों में भ्रमण करके वास्तविकता समझने की कोशिश की है। अब महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर बालिकाओं को लेकर जागरूकता करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए स्कूलों में भी ओरिएंटेशन क्लास शुरू होंगी।
इसलिए हुआ लिंगानुपात कम
बेटियों की अपेक्षा बेटे के प्रति चाहत का स्तर चिंताजनक तक बढ़ा है। कुछ जिले ऐसे हैं, जहां लिंगानुपात बढ़ने की बजाय घटा है। चोरी छुपे होने वाले भ्रूण परीक्षण पर भी अंकुश लगाना चुनौती बन गया है, ऐसे जिलों में अब पीसी-पीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत सख्ती से कार्रवाई करने का प्लान बनाया जा रहा है।
लिंगानुपात पर अभी संशय
अधिकारियों के अनुसार एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 का डेटा सैंपल सर्वे के आधार पर है। कुछ जिलों के लिंगानुपात में जो डेटा दिया गया है वह विश्वसनीय नहीं है। इसको क्रॉस चेक किया जाना बेहद जरूरी है।
महिलाओं के लिए स्पेशल हब बनाकर काम किए जाएंगे
महिलाओं के लिए स्पेशल हब बनाकर काम किए जाएंगे। अभी बहुत काम करने की जरूरत है। एनएफएचएस का डेटा बहुत रिलायबल नहीं है। इसकी जांच करने की आवश्यकता है। -सुरेश तोमर, संयुक्त संचालक-महिला बाल विकास-भोपाल