लेह। लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लाखों लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया। लेह में कड़कड़ाती ठंड के बीच हजारों लोगों ने सड़कों पर मार्च निकाला। यह प्रदर्शन शनिवार 3 फरवरी से जारी है। लेह में यह प्रदर्शन अपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के नेतृत्व में हो रहा हैं। मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन कर रही हैं।
क्यों हो रहा है प्रदर्शन ?
भीषण सर्दी में सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले और संविधान के छठे शेड्यूल को लागू किया जाए। साथ ही लेह और कारगिल को संसद में अलग-अलग सीटें दी जाएं। इसके साथ ही लोगों ने नौकरियों में आरक्षण की भी मांग की है।
सरकार ने समिति का किया गठन
विरोध प्रदर्शन होने से पहले सरकार ने लेह अपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के लोगों के साथ बातचीत की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने लद्दाख को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक समिति का गठन किया है। इस समिति के अध्यक्ष राज्य मंत्री नित्यानंद राय बनाए गए हैं। सरकार ने दोनों दलों के प्रतिनिधियों से 19 फरवरी को दूसरे राउंड की बातचीत करने का ऐलान किया था। इसके बावजूद इन दोनों संगठनों ने लद्दाख को शटडाउन रखा।
प्रदर्शन कर रहे है लोगों ने कही नौकरशाही की बात
रिपोर्ट्स के अनुसार, जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं उनका कहना है कि वह केंद्र शासित प्रदेश में नहीं रह सकते, जहां पर सिर्फ नौकरशाही हो। उनके मुताबिक लद्दाख को पूर्ण राज्य की घोषणा ही उनकी मांगों को पूरा कर सकता है। पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने लद्दाख में एक बैठक की, जिसमें सरकार ने लेह और कारगिल दोनों से अपनी मांगे रखने के लिए कहा था।
साल 2019 में बना केंद्र शासित प्रदेश
बता दें कि, 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके बाद जम्मू और कश्मीर को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया दिया गया था।
इसके बाद ही लेह और कारगिल के लोग राजनीतिक तौर पर बेदखल महसूस करने लगे और तभी से केंद्र के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। बीते सालों में लोगों ने कई बार इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग की है, जिससे उनकी जमीन, नौकरियां और अलग पहचान बनी रही, जो आर्टिकल 370 के तहत उन्हें मिलता था।