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MP : दिग्विजय के आगे झुका प्रशासन, सागर जिले के रैपुरा में जमीन पर बैठाकर लिखित में मनवाईं कलेक्टर से मांगें, दलित बस्ती पर बुलडोजर चलाने का मामला

भोपाल/सागर। प्रदेश के सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट के गांव रैपुरा में आज पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने अपनी ताकत दिखा दी। विगत दिनो इस गांव में रह रहे दलित परिवारों के घरों पर वन विभाग ने बुलडोजर चलाते हुए उनके मकानों को तोड़ दिया था। घटना की जानकारी लगते ही पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता दिग्विजय एक्टिव हो गए थे। उन्होंने पहले तो ट्वीट कर ज्योतिरादित्य सिधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए प्रदेश के परिवहन और राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया और दोपहर में रैपुरा गांव जा पहुंचे।

गांव वालो के साथ जमीन पर बैठे

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह जब रैपुरा गांव पहुंचे तो उन्होने सबसे पहले गांव का जायजा लिया। इसके बाद स्थानीय लोगों से जानकारी लेते हुए उन मकानों को देखने गए जहां बुलडोजर चलाया गया था। इसके बाद दिग्विजय सिंह गांव वालो के साथ जमीन पर ही बैठ गए। दिग्विजय जिस समय वहां पहुंचे, जिला प्रशासन का कोई आला अधिकारी मौजूद नहीं था। मौके पर मौजूद तहसीलदार से उन्होंने कहा कि वे अपनी मांग कलेक्टर, एसपी और डीएफओ के सामने रखना चाहते हैं और जब तक चर्चा नहीं होगी वे यहां से हिलेंगे नहीं।

कलेक्टर, एसपी और डीएफओ भी जमीन पर बैठे

दिग्विजय सिंह के रैपुरा में धरने पर बैठने की जानकारी लगते ही तमाम आला अधिकारी आनन-फानन में वहां पहुंचे। सागर एसपी एसपी अभिषेक तिवारी, डीफओ महेंद्र प्रताप सिंह और आईएएस अधिकारी चंद्रशेखर शुक्ला तत्काल रैपुरा जा पहुंचे। इसके थोड़ी देर बाद ही कलेक्टर दीपक आर्य भी वहां आ गए। इन सभी को दिग्विजय सिंह ने जमीन पर ही बैठाकर चर्चा की। इस दौरान एक्स सीएम ने तल्ख लहजे में कार्रवाई का विरोध करते हुए साफ कहा कि जब तक कलेक्टर लिखकर आश्वासन नहीं देंगे, तब तक वे यहां से हिलेंगे नहीं। आखिरकार कलेक्टर ने लिखित में सभी ग्रामीणों को आश्वासन दिया, जिसे गांव वालों के सामने पढ़कर सुनाया गया। इसके बाद दिग्विजय सिंह वापस भोपाल लौटे।

लिखित में मिले ये आश्वासन

कलेक्टर सागर ने लिखित में आश्वासन दिया कि रैपुरा में जिन गांव वालो की जमीन पर बुलडोजर चलाए गए हैं उन्हे जमीन के लिए पट्टे दिए जाएंगे। इसके साथ ही इन पट्टों पर मकान निर्माण पीएम आवास योजना के तहत कराया जाएगा। जिन ग्रामीणों का नुकसान वन विभाग द्वारा अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के दौरान हुआ है, उन सभी के नुकसान की भरपाई भी जिला प्रशासन द्वारा की जाएगी। इसके अलावा गांव वालों को जातिगत अपमानित करने वाले वन विभाग के रेंजर को सस्पेंड कर दिया गया है और उसके द्वारा किए गए व्यवहार की जांच सप्ताह भर में कराकर उसके खिलाफ आपराधिक मामला कायम करने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। बाद में दिग्विजय सिंह ने मीडिया से चर्चा के दौरान एक बार फिर इस आरोप को दोहराया कि वन विभाग की मिली-भगत से इस गांव की जमीन को राजस्व मंत्री के परिजनों को क्रेशर के लिए सौंपे जाने की तैयारी थी।

 

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