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फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की चूक ; मध्य प्रदेश के 100 से ज्यादा वन ग्राम रिकॉर्ड से गायब, 199 आज भी वीरान

पुष्पेंद्र सिंह, भोपाल । प्रदेश के 100 से अधिक वन ग्रामों के रिकॉर्ड को लेकर बड़ी चूक सामने आई है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का दावा है कि वन ग्राम राजस्व विभाग को सौंप दिए हैं, लेकिन कब सौंपे गए इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। इस बड़ी खामी के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों को बचाया जा रहा है। वहीं गांवों के विकास को लेकर दोनों विभाग एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं। यह भी जानकारी सामने आई है कि आजादी के बाद से प्रदेश में आज भी 199 गांव वीरान हैं। ये गांव विकास के रास्ते पर नहीं आ पाए हैं।

जनजातियों पर फोकस, फिर भी लापरवाही

राज्य सरकार का सबसे ज्यादा फोकस जनजातीय वर्ग के लोगों को आर्थिक संपन्न बनाने में हैं। पिछले एक साल से इन वर्ग के इलाकों में लगातार विभिन्न कार्यक्रम कराए हा रहे हैं। राज्य और केंद्र सरकार हर साल बजट में भी वृद्धि कर रही है। सरकार ने दावा किया है कि प्रदेश के हर वन ग्राम को राजस्व ग्राम में बदला जाएगा और उन्हें सरकार की सभी सुविधाओं तथा योजनाओं से जोड़ा जाएगा।

वन ग्रामों को राजस्व विभाग में हस्तांतरित करने को लेकर फॉरेस्ट और जनजातीय कार्य विभाग के माध्यम से आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने एक जानकारी में बताया है कि 678 राजस्व ग्रामों में आज भी 199 वीरान गांव हैं। वन विभाग के अनुसार 25 मई 1962 से अबतक 479 ग्रामों में से 435 ग्राम राजस्व विभाग को हस्तांतरित किए जा चुके हैं। इसके बाद 33 और ग्रामों को राजस्व विभाग में देने की अधिसूचना जारी हुई।

इसलिए राजस्व ग्राम में बदल रहे

दरअसल, वन ग्राम होने से वहां के किसान और अन्य लोग सरकारी सुविधाओं और योजनाओं का फायदा नहीं उठा पाते, क्योंकि ऐसे गांवों में फॉरेस्ट का अधिकार होता है। बिना वन विभाग की मंजूरी लिए कोई भी निर्माण तथा अन्य कार्य नहीं किए जा सकते हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने कई साल पहले कहा था कि प्रदेश में जितने भी वन ग्राम हैं, उन्हें राजस्व विभाग को दिए जाएंगे जिससे लोगों को विकास की धारा में लाया जा सके।

किस मंडल के कितने वन ग्राम रिकॉर्ड में नहीं

वन मंडल वन ग्राम
राजगढ़ 03
भोपाल 10
औबेदुल्लागंज 15
इंदौर 09
उज्जैन 35
धार 17
झाबुआ 16
स्रोत : वन विभाग (दिसंबर 2022)

जो रिकॉर्ड में हैं उन ग्रामों का भी विकास नहीं

निवास के विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले कहते हैं कि जनजातीय बहुल इलाकों में अधिकांश वन ग्राम हैं। इन ग्रामों का विकास रुका हुआ है। मैंने शीतकालीन सत्र में विधानसभा में सवाल भी किया था। वन विभाग के अनुसार कई गांव हैं, जिन्हें राजस्व को तो दिया, लेकिन कब दिया, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। सब कागजों पर है। आलम है कि वन ग्रामों के लोगों को न निर्माण करने को मिल रहा है न ही  योजनाओं का फायदा मिल रहा है।

वन मंडलों ने रिकॉर्ड नहीं होने की जानकारी दी है

एपीसीसीएफ, भू-प्रबंधन अन्निगिरी बताते हैं कि 479 ग्रामों में 435 ग्राम राजस्व विभाग को हस्तांतरित किए गए हैं। यह सही है कि कुछ वन मंडलों में ऐसे रिकॉर्ड नहीं है कि उनके द्वारा कब गांवों को राजस्व विभाग को दिया गया। यह जिले के वन अधिकारियों की चूक है। लेकिन, यह भी सही है कि सौंपे गए वन ग्रामों के लोगों को सुविधाएं और योजनाओं का फायदा मिल रहा है।

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