Manisha Dhanwani
23 Oct 2025
Shivani Gupta
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Priyanshi Soni
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Hemant Nagle
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Aniruddh Singh
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पल्लवी वाघेला-भोपाल। अशोका गार्डन की छह साल की बच्ची को अभिभावक फिजियोथैरेपिस्ट के पास लेकर पहुंचे। उसकी गर्दन और कंधों में दर्द रहता है। उंगलियों में झनझनाहट है और कोई चीज पकड़ने पर उंगलियां कांपती हैं। पता चला कि बच्ची पूरे दिन लेटे-लेटे मोबाइल का इस्तेमाल करती है। फिजियोथैरेपिस्ट ने गौर किया कि बच्ची का शारीरिक विकास भी प्रभावित हुआ है। उसकी कमर व घुटनों में भी जकड़न होने लगी है, जो आगे दर्द का कारण बनेगी।
अगर आप भी अपने बच्चों की शरारत से परेशान हैं और उन्हें स्मार्टफोन पकड़ा देते हैं तो ये केस आपके लिए अलार्मिंग कॉल है। शहर के फिजियोथैरेपिस्ट और पीडियाट्रिक्स के पास लगातार ऐसे मामले पहुंच रहे हैं। मोबाइल एडिक्शन से होने वाली बच्चों की बीमारियों में सर्वाइकल पेन भी तेजी से बढ़ा है।
एम्स, दिल्ली की रिपोर्ट ने इस संबंध में कहा है कि जल्द ही यह समस्या बच्चों में महामारी का रूप ले लेगी। देश में 12 फीसदी बच्चों में गर्दन का दर्द रहता है।
जीएमसी में असिस्टेंट प्रोफेसर मेडिसिन डॉ. आरएस मनीराम कहते हैं कि वृद्धावस्था का सर्वाइकल पेन या जोड़ों की समस्याएं यूथ में और अब मोबाइल एडिक्शन की वजह से बच्चों में भी देखने को मिल रही हैं। समस्या यह भी है कि मोबाइल एडिक्शन से बच्चों को होने वाली बीमारियों से बमुश्किल 10-12 फीसदी पैरेंट्स ही अवेयर हैं। बाकी लक्षणों को देखकर भी नजर अंदाज कर देते हैं। उनके पास हफ्ते में छह से सात बच्चे (12 साल तक के) कंसलटेंसी के लिए पहुंच रहे हैं।
मोबाइल ज्यादा यूज करने वाले बच्चे एक पोजीशन में कई घंटे रहते हैं। इससे रीढ़ की हड्डी पर प्रेशर बढ़ने लगता है और लिगामेंट में स्पेन का खतरा बढ़ जाता है। मसल्स हार्ड होने लगते हैं और डिस्क में परेशानी होती है। - डॉ. निम्मी सिंह सिसौदिया, फिजियोथैरेपिस्ट