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मैनिट: 82% स्टूडेंट्स ने छोड़ी हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई

दो साल पहले 150 स्टूडेंट्स ने लिया था हिंदी माध्यम में एडमिशन, अब मात्र 27 ही बचे

भोपाल। मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) में हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के प्रति स्टूडेंट्स का मोह भंग हो रहा है। करीब 82 प्रतिशत स्टूडेंट्स ने हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ दी है। मैनिट के डायरेक्टर केके शुक्ला ने भी स्वीकार किया है कि इसमें उतनी सफलता नहीं मिल पाई है, जितनी कि अपेक्षा की जा रही थी।

जानकारी के अनुसार, मैनिट में वर्ष 2020 में हिंदी में इंजीनियरिंग करने के लिए फर्स्ट ईयर में 150 स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया था। दो साल बाद इनमें से सिर्फ 27 स्टूडेंट्स ही बचे हैं। दरअसल, देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू हुए 29 जुलाई को दो साल पूरे हो रहे हैं। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए संस्थानों द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देने के लिए मैनिट में सोमवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में यह तथ्य सामने आए।

इस दौरान आरजीपीवी के कुलपति प्रो. सुनील कुमार, योजना एवं वास्तुकला विद्यालय (एसपीए) के डायरेक्टर कैलाश राव, राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) के डायरेक्टर धीरज कुमार, एनआईटीटीटीआर के डायरेक्टर सीसी त्रिपाठी आदि मौजूद थे। मैनिट के डायरेक्टर शुक्ला ने बताया कि संस्थान इस बार भी फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स को दोनों मीडियम से पढ़ने को ऑप्शन देगा। उन्होंने बताया कि यदि कोई स्टूडेंट्स हिंदी में पढ़ना चाहेगा, तो उसे आगे भी हिंदी में पढ़ाया जाएगा। इसके लिए अलग सेक्शन बनाया जाएगा।

इसलिए कम हो रही रुचि

स्टूडेंट्स का मानना है कि यदि उनकी डिग्री या मार्कशीट में लैंग्वेज में ‘हिंदी’ लिखा जाएगा, तो प्लेसमेंट पर असर पड़ेगा। वहीं हिंदी के पाठ्यक्रम में टेक्निकल एजुकेशन से जुड़े कुछ ऐसे शब्द हैं, जिन्हें हिंदी में पढ़ने में कठिनाई होती है। इसलिए स्टूडेंट्स बीच में हिंदी में पढ़ाई छोड़ देते हैं।

मातृभाषा पर फोकस इसलिए चीन और जापान आगे

आरजीपीवी के कुलपति प्रो. सुनील कुमार ने कहा कि चीन और जापान जैसे देशों ने मातृभाषा को अपनाया, इस कारण वे इनोवेशन और टेक्नोलॉजी में हमसे आगे निकल गए। आरजीपीवी 14 बुक को हिंदी में कन्वर्ट कर चुका है। 88 पर अभी काम चल रहा है।

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